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________________ श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। / / 282 // कादिलक्षणा सूरिभिः कृता // 3 // इति / निदर्शितं चेहोभयमपीत्यलं विस्तरेण // 366 // असंखेजाणं समयाणं समुदयसमितिसमागमेणं सा एगा आवलियत्ति पवुच्चइ, संखेजाओ आवलियाओ ऊसासो, संखेजाओ आवलियाओ नीसासो, हट्ठस्स अणवगल्लस्स, निरुवक्किट्ठस्स जंतुणो। एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति वुचति ॥१०४॥सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे / लवाणं सत्तहत्तरिए, एस मुहुते वियाहिए / / 105 / / तिण्णि सहस्सा सत्त य सयाणि तेहत्तरं च उस्सासा। एस मुहुत्तो भणिओ सव्वेहिं अणंतनाणीहिं॥ 106 // एतेणं मुहुत्तमपाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्ते, पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उऊ, तिण्णि उऊ अयणं, दो अयणाई संवच्छरे, पंच संवच्छरिए जुगे, वीसं जुगाइं वाससयं, ससताई वाससहस्सं, सयं वाससहस्साणं वाससतसहस्सं, चउरासीई वाससयसहस्साइं से एगे पुव्वंगे, चउरासीर्ति पुव्वंगसतसहस्साइंसे एगेपुव्वे, चउरासीति पुव्वसयसहस्साइंसे एगेतुडियंगे, चउरासीइंतुडियंगसयसहस्साइंसे एगे तुडिए, चउरासीई तुडियसयसहस्साइं से एगे अडडंगे, चउरासीई अडडंगसयसहस्साई से एगे अडडे, चउरासीई अडडसयसहस्साइं से एगे अववंगे चउरासीइं अववंग सयसहस्साइंसे एगे अववे, चउरासीति अववसतसहस्साइंसे एगे हूहुयंगे, चउरासीईहूहुयंगसतसहस्साइंसे एगे हुहुए, एवं उप्पलंगे उप्पले, पउमंगे पउमे, नलिणंगे नलिणे, अत्थनिउरंगे अत्थनिउरे, अउयंगे अउए, णउयंगे णउए, पउयंगे पउए, चूलियंगे चूलिया, चउरासीतिं चूलियासतसहस्साइ से एगे सीसपहेलियंगे, चउरासीतिं सीसपहेलियंगसतसहस्साइं सा एगा 6वुच्चइ। 'या' न वर्तते। 0री।सयाई तेहुत्तरिं च ऊसासा। उत्तं / राई। ©या। चोरासीई।७।®चो। (r) अग्रेतनानि पदानि एवं अववंगे अववे..' इत्यादि रूपेण संक्षिप्तानि वर्तन्ते। ®च्छ ®णउअंगे णउए' इति द्वे पदे 'पउए', इति पदस्य पश्चाद्वर्तते। [1] उपक्रमः। शा० उपक्रमः। १.३प्रमाणम्। द्रव्यादिचतुर्भदा: सूत्रम् 367 1.3.3 कालप्रमाणम्। 1.3.3.2 विभा०नि०। गणित विषयानामावलिकादारभ्य शीर्षप्रहेलिकान्तानां निरूपणम्। // 282 //
SR No.600442
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size31 MB
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