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________________ [1] उपक्रमः। शा० उपक्रमः। श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। // 233 // 1.2 नाम। इति तात्पर्यम् / अनादिसिद्धान्तनामत्वेनैवैतानि प्रागुक्तानीति चेद्, उच्यताम्, को दोषः? अनन्तधर्मात्मके वस्तुनि तत्तद्धर्मापेक्षयाऽनेकव्यपदेशताया अदुष्टत्वादेवमन्यत्रापि यथासम्भवं वाच्यमिति // 292 // से किंतंभावप्पमाणे? 2 चउव्विहे पण्णत्ते / तंजहा-सामासिए 1, तद्धितए 2, धातुए 3, निरुत्तिए 4 // सूत्रम् 293 / / से किं तं सामासिए? 2 सत्त समासा भवंति तंजहा, दंदे 1 य बहुव्वीही 2 कम्मधारए 3 दिग्गु 4 य / तप्पुरिस 5 अव्वईभावे 6 एक्कसेसे 7 य सत्तमे // 91 // सूत्रम् 294 // से किं तं दंदे समासे? 2, दन्ताश्च ओष्ठौ च दन्तोष्ठम्, स्तनौ च उदरं च स्तनोदरम्, वस्त्रं च पात्रं च वस्त्रपात्रम्, अश्वश्च महिषश्च / अश्वमहिषम्, अहिश्च नकुलश्च अहिनकुलम् / सेतं दंदे समासे॥ सूत्रम् 295 // से किं तं बहुव्रीहिसमासे? 2 फुल्लाजम्मि गिरिम्मि कुडयकलंबा सो इमो गिरी फुल्लियकुडयकलंबो। से तं बहुव्रीहिसमासे // सूत्रम् 296 // से किंतं कम्मधारयसमासे? 2- धवलो वसहो धवलवसहो, किण्हो मिगो किण्हमिगो, सेतो पटो सेतपटो, रत्तो पटो रत्तपटो। सेतं कम्मधारयसमासे॥सूत्रम् 297 // __ से किं तं दिगुसमासे? 2- तिण्णि कडुगाँ तिकडुगं, तिण्णि महुराणि तिमहुरं, तिण्णि गुणा तिगुणं, तिण्णि पुरा तिपुरं, तिण्णि सरा तिसरं, तिण्णि पुक्खरा तिपुक्खरं, तिण्णि बिंदुया तिबिंदुयं, तिण्णि पहा तिपहं, पंचणदीओ पंचणद, सत्त गया सत्तगयं, नव समासे' इति पदं न वर्तते / 0 अश्वाश्च महिषाश्च। बहुव्वीही। इमंमि। 7 / यो डो' इति चर्तुष्वपि पदेषु / कडुगाणि। 7 तिण्णि गुणाणि तिगुणं' इति वर्तते, अनया रीत्याऽग्रेननेषु पञ्चस्वपि पदेषु बहुवचनान्तानि ज्ञातव्यानि / सूत्रम् 293-301 |1.2.10 दशनाम। 1.2.10.10 प्रमाणनाम। 1.2.10.10.3 द्रव्यप्रमाणं धर्मास्तिकायादि षड्विधम् / 1.2.10.10.4 भावप्रमाणं सामासिकादि। सप्तविधंसामासिकनिरूपणम्। // 233 //
SR No.600442
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size31 MB
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