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________________ [1] उपक्रमः। शा० उपक्रमः। 8 श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्र- सूरि वृत्तियुतम्। // 204 // |1.2 नाम। / 20-21 // यस्मिन्कालेस तथा, तस्मिन्मधुमास इत्यर्थः // 29 // अजीवनिस्सियत्ति तथैव / नवरमजीवेष्वपि मृदङ्गादिषु जीवव्यापारोत्थापिता एवामी मन्तव्याः। अपरं षड्जजादीनां मृदङ्गादिषु यद्यपि नाशाकण्ठाद्युत्पन्नत्वलक्षणो व्युत्पत्त्यर्थो न घटते तथापि सादृश्यात्तद्भावोऽवगन्तव्यः / सज्जमित्यादिश्लोकद्वयम् / गोमुखीकाहला यस्या मुखेगोशृङ्गादि वस्तु दीयत इति / चतुर्भिश्चरणैः प्रतिष्ठानमवस्थानं भूवि यस्याः सा गोधा चर्मावनद्धा गोधिका वाद्यविशेषो दर्दरिकेत्यपरनाम्ना प्रसिद्धा। आडम्बरःपटहः / सप्तममिति निषादमित्यर्थः॥३०-३१॥ एएसिणं सत्तण्हंसराणं सत्त सरलक्खणा पण्णत्ता, तंजहा- सजेण लहई वित्तिं, कयं च न विणस्सई / गावो पुत्ता य मित्ता य, नारीणं होति वल्लहो 1 // 32 // स्सिहेण तु एसजं, सेणावचंधणाणि यावत्थगंधमलंकारं, इथिओसयणाणिय 2 // 33 // गंधारे गीतजुत्तिण्णा, वनवित्ती कलाहिया। हवंति कइणोपण्णा, जे अण्णे सत्थपारगा३॥३४॥ मज्यूिमसरमंता उ, हवंति सुहजीविणो।खायति पियति देति मज्झिमसरमस्सिओ४॥३५॥ पंचमस्सरमंता उहवंति पुहवीपती / सूरा संगहकत्तारो, अणेगणरणायगा 5 // 36 // धेवयसरमंताउ, हवंति कलहप्पिया साउणिया वग्गुरिया सोयरिया मच्छबंधाय६॥३७॥ हा। 0 (पसेज)इत्यधिकम्। ध। स। Oगणनायगा। 0 श्लो० 37, 38 स्थाने इमे द्वे वर्तेते 'रेवयसरमंता उ, हवंति दुहजीविणो। कुचेला य कुवित्ती य, चोरा चंडाल मुट्ठिया / / 37 // णिसाय सरमंताउ, होति कलह कारगा। जंघाचरा लेहवासा, हिंडगा भारवाहगा / / 38 // * साऊणिया वाउरिया सोयरिआ य मुट्ठिआ,' इति पाठानुसारिणी वृत्तिः / सूत्रम् 260 1.2.7 सप्तनाम। गा०३२-३८ सप्तस्वराणां लक्षणानि, फलानि च। // 204 //
SR No.600442
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size31 MB
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