________________ शा० उपक्रमः। श्रीअनुयोगद्वारं मलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। / / 189 // 245-247 1.2.6 षड़नाम। 1.2.6.4 से किंतं खओवसमिए? 2 दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-खओवसमें १खओवसमनिप्फन्ने य 2 // सूत्रम् 245 / / [1] उपक्रमः। से किं तंखओवसमे? 2 चउण्हंघाइकम्माणं खओवसमेणं, तंजहा- नाणावरणिजस्स 1 दंसणावरणिज्जस्स 2 मोहणिज्जस्स 3 अंतराइयस्स 4, से तंखओवसमे।सूत्रम् 246 // 1.2 नाम। से किंतंखओवसमनिप्फन्ने? 2 अणेगविहे पण्णत्ते, तंजहा-खओवसमिया आभिणिबोहियणाणलद्धी जाव खओवसमिया सूत्रम् मणपज्जवणाणलद्धी खओवसमिया मतिअण्णाणलद्धी खओवसमिया सुयअण्णाणलद्धी खओवसमिया विभंगणाणलद्धी खओवसमिया चक्खुदंसणलद्धी एवमचक्खुदंसणलद्धी, ओहिदंसणलद्धी एवं सम्मदंसणलद्धी मिच्छादसणलद्धी सम्मामिच्छादसणलद्धीखओवसमिया समाइयचरित्तलद्धी एवं छेदोवट्ठावणलद्धी परिहारविसुद्धियलद्धी सुहुमसंपराइयलद्धी, एवं चरित्ता क्षायोपशमिकचरित्तलद्धी खओवसमिया दाणलद्धी एवं लाभ० भोग० उवभोग० खयोवसमिया वीरियलद्धी, एवं पंडियवीरियलद्धी बालवीरियलद्धी बालपंडियवीरियलद्धीखओवसमिया सोइंदियलद्धी जावखओवसमिया फासिंदियलद्धीखओवसमिए आयारधरे भेदप्रभेदएवं सुयगडधरे ठाणधरे समवायधरे विवाहपण्णत्तिधरे एवं नायाधम्मकहा० उवासगदसा० अंतगडदसा०अणुत्तरोववाइयदसा० निरूपणम्। पण्हावागरण खओवसमिए विवागसुयधरे खओवसमिए दिट्ठिवायधरे खओवसमिए णवपुवी जाव चोद्दसपुव्वीखओवसमिए गणी खओवसमिए वायए, सेतं खओवसमनिप्फण्णे, सेतं खओवसमिए / सूत्रम् 247 // से किं तमित्यादि। असावपि द्विस्वरूपः, क्षयोपशमस्तन्निष्पन्नश्च। तत्र विवक्षितज्ञानादिगुणविघातकस्य कर्मण उदयप्राप्ती 0 मिए / 0 अंतरायस्स खओवसमेणं...' इति वर्तते / 0 म्म। 0 सा। 0 संपरायचरित्तलद्धी' इति वर्तते / 0 रंगधरे / 0 सुअगडंगधरे ठाणंगधरे समवायंगधरे / ०धरे' इत्यधिकं 'खओवसमिए' इति नास्ति / 7 खओवसमिए जाव चउदसपुवी- इति वर्तते। द्विरूपः / भावस्य क्षयोपशमक्षयोपशमनिष्पन्न