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________________ [[2] उपक्रमः। शा०उपक्रमः श्रीअनुयोगद्वारं मलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। // 184 // १.२नाम। सूत्रम् 239-241 1.2.6 पनामा 1.2.6.2 औपशमिकभावस्योप से किंतं उवसमे? 2 मोहणिज्जस्स कम्मस्स उवसमेणं, से तं उवसमे / / सूत्रम् 240 // से किं तं उवसमनिष्फण्णे? 2 अणेगविहे पण्णत्ते, तंजहा, उवसंतकोहे जाव उवसंतलोभे उवसंतपेज्जे उवसंतदोसे उवसंतदंसणमोहणिज्जे उवसंतचरित्तमोहणिज्जे उवसंतमोहणिज्जे उवसमिया सम्मत्तलद्धी उवसमिया चरित्तलद्धी उवसंतकसायछउमत्थवीतरागे, सेतं उवसमनिप्फण्णे।सेतं उवसमिए॥सूत्रम् 241 // से किं तं उवसमिए, इत्यादि। अयमपि द्विविधः, उपशमस्तन्निष्पन्नश्च / तत्र उवसमे णंति, णमिति वाक्यालङ्कारे, उपशम: पूर्वोक्तस्वरूपो मोहनीयस्यैव कर्मणोऽष्टाविंशतिभेदभिन्नस्योपशमश्रेण्यां द्रष्टव्योन शेषकर्मणाम्, मोहस्सेवोवसमो, इति वचनात्, उपशम एवौपशमिकः / उपशमनिष्पन्ने तु उवसंतकोहे, इत्यादीहोपशान्तक्रोधादयो व्यपदेशाः क्वापि वाचनाविशेषे(षा:) कियन्तोऽपि दृश्यन्ते / तत्र मोहनीयस्योपशमेन दर्शनमोहनीयं चारित्रमोहनीयं चोपशान्तं भवति, तदुपशान्ततायां च ये व्यपदेशाःसंभवन्ति ते सर्वेऽप्यत्रादुष्टान शेषा इति भावनीयम्। से तमित्यादि निगमनद्वयम् // 241 // निर्दिष्टो द्विविधिोऽप्यौपशमिकोऽथ क्षायिकमाह__से किं तं खइए? 2 दुविहे पण्णत्ते, तंजहा, खए य 1 खूयनिष्फण्णे य 2 // सूत्रम् 242 // से किं तं खए? 2 अट्ठण्हं कम्मपगडीणंखएणं,सेतं खए। सूत्रम् 243 // से किंतंखयनिष्फण्णे? 2 अणेगविहे पण्णत्ते, तंजहा- उप्पण्णणाणदसणधरे अरहा जिणे केवलीखीणआभिणिबोहियणाणावरणे खीणसुयणाणावरणे खीणओहिणाणावरणे खीणमणपज्जवणाणावरणे खीणकेवलणाणावरणे अणावरणे णिरावरणे ®खइए। निष्पन्नभेदप्रभेद निरूपणम् / सूत्रम् |242-244 1.2.6.3 क्षायिकभावस्य क्षयक्षयनिष्पन्न भेदप्रभेद निरूपणम्। // 184 //
SR No.600442
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size31 MB
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