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________________ श्रीअनुयोगद्वारंमलधारि श्रीहेमचन्द्रसूरि वृत्तियुतम्। // 158 // [1] उपक्रमः। शा० उपक्रमः। 1.1 आनुपूर्वी। सूत्रम् 199-200 कालानुपूर्वी। औप० अनौ०। १.१.५आ.२ सङ्गह० अनौ० कालानुपूर्वी। से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी? 2 पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा- अट्ठपयपरूवणया 1 भंगसमुक्तित्तणया 2 भंगोवदंसणया ३समोतारे 4 अणुगमे ५॥सूत्रम् 199 / / ( // 112 // ) से किंतंसंगहस्स अट्ठपयपरूवणया 2 एयाईपंचवि दाराईजहा खेत्ताणुपुव्वीए संगहस्स तहा कालाणपुव्वीएवि भाणियव्वाणि, णवरं ठितीअभिलावो, जाव से तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी, से तं अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी॥सूत्रम् 200 / / ( // 113 // ) से किं तमित्यादि। यथा क्षेत्रानुपूर्व्यामियं सङ्गहमतेन प्राग्निर्दिष्टा तथात्रापि वाच्या, नवरं तिसमयट्ठिईया आणुपुव्वी जाव असंखेजसमयट्ठिईया आणुपुव्वीत्याद्यभिलाप: कार्यः, शेषं तु तथैवेति // 199-200 // उक्ता सङ्ग्रहमतेनाप्यनौपनिधिकी कालानुपूर्वी, तथा च सत्यवसितस्तद्विचारः / इदानीं प्रागुद्दिष्टामेवोपनिधिकीं तां निर्दिदिक्षुराह___ (1) से किं तं ओवणिहिया कालाणुपुवी? 2 तिविहा पण्णत्ता, तंजहा- पुव्वाणुपुव्वी 1 पच्छाणुपुष्वी 2 अणाणुपुव्वी 3 // (2) से किं तं पुव्वाणुपुव्वी? 2 एगसमयठिइए, दुसमयठिइए, तिसमयठिइए जाव दससमयठिइए जाव संखेनसमयठिइए, असंखेन्जसमयठिइए। सेतं पुव्वाणुपुव्वी। (3) से किं तं पच्छाणुपुव्वी? 2 असंखेन्जसमयठिइए जाव एक्कसमयठिइए। सेतं पच्छाणुपुव्वी। (4) से किं तं अणाणुपुव्वी? 2 एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए असंखेजगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णब्भासो दुरूवूणो। सेतं अणाणुपुव्वी। सूत्रम् 201 // (r) शेषसूत्रपाठः 'अणुगमे। से तं संगहस्स अणोवणिहिआ कालाणु० // सू० 113 // ' इति रूपेण वर्तते। सूत्रम् 201 १.१.५आ.१ सङ्गह० औ० कालानुपूर्वी। समयावलिकादारभ्य शीर्षप्रहेलिकापल्योपम सागरोपमोत्सर्पिणी प्रभृतीनां व्याख्यानम्। // 158 //
SR No.600442
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyakirtivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_anuyogdwar
File Size31 MB
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