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________________ श्रीदश श्रीदशवैकालिक श्रीहारि० वृत्तियुतम् // 13 // वैकालिकसूत्रस्या नुक्रमः 389 क्रमः विषय: सूत्रम् नियुक्तिः भाष्यम् पृष्ठः | क्रम: विषय: सूत्रम् नियुक्तिः भाष्यम् पृष्ठः फलम्। 384 10 ॥दशममध्ययनं 9.2.4 देवोदाहरणेन फलम् / 10-11 - 386 सभिक्ष्वाख्यम् // 1-21328-358 - 9.2.5 लोकोत्तर 10.1 अभिसम्बन्धः विनयफलम्। 12-16 - - 386 सकारनिक्षेपाः। - 328-329 - 400 9.2.6 विनयोपायम्। 17-20 - |10.2 सकारनिक्षेपाः। - 330-332 - 400 9.2.7 विनयाविनय 10.3 भिक्षुनिक्षेपफलाभिधानम्। 21-23 - निरूक्तादिद्वाराणि। - 333-335 - 401 नवमाध्ययने तृतीयोद्देशकः 10.4 लिङ्गिद्रव्यभिक्षो:(विनीतस्य पूज्यत्वम्)।१-१५ - 390-394 सावधपरत्वम्। - 336-338 - 402 9.3.1 विनीतस्य 10.5 कुतीर्थिकाब्रह्मपूज्यत्वोपदर्शनम्। 1-15 - चारिकथनं भाव९.४ नवमाध्ययने चतुर्थोद्देशक: भिक्षुनिक्षेपाश्च। - 339- 340 - 403 (समाधिस्थानानि)। 1-7 - 395-399 10.6 निरुक्तद्वारम्। - 341-343 - 9.4.1 चत्वारि विनयसमाधि 10.7 एकार्थिकद्वारम्। - 344-347 स्थानानि। 1 395 10.8 लिङ्गद्वारमवयव९.४.२ विनयसमाधिस्थानम्। 2 द्वारं च। - 348-350 - 9.4.3 श्रुतसमाधिस्थानम्। 3 397 |10.9 अवयवद्वारे सुवर्णगुणा 9.4.4 तप:समाध्याचार उपनयश्च। समाधिस्थानम्। 4-7 397 |10.10 उपनयः। - 352-355 407 396 // 1
SR No.600441
Book TitleDashvaikalik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size34 MB
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