________________ श्रीसमवायाङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् // 983 // सूत्रम् 113-135 शताधिकस्थानकम् अनुत्तरविमानादिः जम्बूद्वीपायामादिः अबाहाए अंतरे प०॥७००० / / सूत्रम् 120 // हरिवासरम्मयाणं वासा अट्ठजोयणसहस्साइंसाइरेगाई वित्थरेणं प०॥८००० ।।।।सूत्रम् 121 // दाहिणभरहस्सणं जीवा पाईणपडीणायया दुहओसमुदं पुट्ठा नवजोयणसहस्साई आयामेणं प० ॥९०००॥॥सूत्रम् 122 // मंदरेणं पव्वए धरणितले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं प० ॥१००००॥॥सूत्रम् 123 // जम्बूदीवेणंदीवे एगंजोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं प०॥१०००००।।।। सूत्रम् 124 / / लवणेणं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साइंचक्कवालविक्खंभेणं प० ॥२०००००॥॥सूत्रम् 125 // पासस्स णं अरहओ तिन्नि सयसाहस्सीओसत्तावीसंच सहस्साई उक्कोसिया सावियासंपया होत्था॥३२७०००।।सूत्रम् 126 // धायइखंडेणंदीवे चत्तारि जोयणसयहस्साइंचक्कवालविक्खंभेणं प०॥४०००००।।सूत्रम् 127 // लवणस्सणं समुद्दस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरमंताओ पञ्चच्छिमिल्ले चरमंते एस णं पंच जोयणसयसहस्साई अबाहाए अंतरेप०॥ ५०००००।।।सूत्रम् 128 // भरहेणं राया चाउरंतचक्ववट्टी छ पुव्वसयसहस्साई रायमज्झे वसित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए।।६००००० ॥॥सूत्रम् 129 // जम्बूदीवस्सणंदीवस्स पुरच्छिमिल्लाओवेइयंताओधायइखंडचक्कवालस्स पच्चच्छिमिल्लेचरमंते सत्त जोयणसयसहस्साई अबाहाए अंतरेप०॥७०००००॥॥सूत्रम् 130 // माहिदेणं कप्पे अट्ठ विमाणावाससयसहस्साइंप०॥८०००००। ।।सूत्रम् 131 / / // 183 //