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________________ सूत्रम् श्रीसमवाया श्रीअभय० वृत्तियुतम् // 182 // 113-135 शताधिकस्थानकम् अनुत्तरविमानादिः जम्बूद्वीपायामादिः णं वट्टवेयद्दपव्वया दस दस जोयणसयाई उडे उच्चत्तेणं प० दस दस गाउयसयाई उव्वेहेणं प० मूले दस दस जोयणसयाई विक्खंभेणं प०, सव्वत्थ समा पल्लगसंठाणसंठिया प०, सव्वेविणं हरिहरिस्सहकूडा वक्खारकूडवजा दस दस जोयणसयाई उडे उच्चत्तेणं प०, मूले दस जोयणसयाई विक्खंभेणं, एवं बलकूडावि नंदणकूडवज्जा, अरहावि अरिट्ठनेमी दस वाससयाइंसव्वाउयं पालइत्ता सिद्धे बुद्धे जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, पासस्सणं अरहओ दस सयाई जिणाणं होत्था, पासस्सणं अरहओदस अन्तेवासीसयाइंकालगयाई जाव सव्वदुक्खप्पहीणाई, पउमद्दहडरीयद्दहा य दस दस जोयणसयाई आयामेणं प०॥१०००॥ // सूत्रम् 113 // अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं विमाणा एक्कारस जोयणसयाई उई उच्चत्तेणं प०, पासस्स णं अरहओ इक्कारस सयाई वेउब्वियाणं होत्था / / 1100 / / / / सूत्रम् 114 // महापउममहापुंडरीयदहाणं दो दो जोयणसहस्साई आयामेणं प० // 2000 / / / / सूत्रम् 115 / / इमीसेणंरयणप्पभाए पुढवीए वइरकंडस्स उवरिल्लाओ चरमंताओलोहियक्खकंडस्स हेडिल्लेचरमंते एसणं तिन्नि जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे प०॥३०००।।सूत्रम् 116 // तिगिच्छिकेसरिदहाणं चत्तारि चत्तारि जोयणसहस्साई आयामेणं प०॥ ४०००॥॥सूत्रम् 117 // धरणितले मंदरस्सणं पव्वयस्स बहुमज्झदेसभाए रुयगनाभीओ चउदिसिं पञ्च 2 जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे मंदरपवएप० ॥५०००॥॥सूत्रम् 118 // सहस्सारेणं कप्पे छ विमाणावाससहस्सा प०॥६०००॥ ॥सूत्रम् 119 // इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिल्लाओ चरमंताओपुलगस्स कंडस्स हेडिल्ले चरमंते एसणंसत्त जोयणसहस्साई // 182
SR No.600440
Book TitleSamvayang Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_samvayang
File Size20 MB
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