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________________ ६.षष्ठमध्ययनं प्रत्याख्यान:, नियुक्तिः श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-४ // 1426 // श्रावकभेदाः अणुव्रतभेदाश्च। पंचण्हमणुवयाणं इक्कगदुगतिगचउक्कपणएहिं / पंचगदसदसपणइक्कगेय संजोग कायव्वा // 1 // एतीए वक्खाणं- पंचण्हमणुव्वयाणं पुव्वभणियाणं एक्कगदुगतिगचउक्कपणएहिं चिंतिज्जमाणाणं पंचगदसदसपणगएक्कगो य संजोग णातव्वा एक्केण चिंतिजमाणाणं पंच संजोगा, कहं?, पंचसु घरएसु एगेण पंचेव भवन्ति, दुगेण चिंतिज्जमाणाणं दस चेव, कह?, पढमबीयघरेण एक्को१पढमततियघरेण 2 पढमचउत्थघरेण 3 पढमपंचमघरेण 4 बितियततियघरेण५ बीयचउत्थघरेण 6 बीयपंचमघरेण सत्तमो 7 ततियचउत्थघरेण 8 ततियपंचमघरेण 9 चउत्थपंचमघरेण 10 // तिगेण चिंतिजमाणाणं दस चेव, कह?, पढमबियततियघरेण एक्को 1 पढमबितियचउत्थघरेण 2 पढमबितियपंचमघरेण 3 पढमतईयचउत्थघरेण 4 पढमततियपंचमघरेण 5 पढमचउत्थपंचमघरेण 6 बितियततियचउत्थघरएण 7 बितियततियपंचमघरेण 8 बितियचउत्थपंचमघरेण 9 ततियचउत्थपंचमघरेण 10 / चउक्गेण चिंतिज्जमाणाणं पंच हवंति, कह?, पढमबितियततियचउत्थघरेण एक्को पढमबितियततियपंचमघरेण 2 पढमबितियचउत्थपंचमघरेण 3 पढमततियचउत्थपंचमघरेण 4 बितियततियचउत्थपंचमघरेण 5, पंचगेण चिंतिजमाणाण एगो चेव भवतित्तिगाथार्थः॥१॥ एत्थ य एक्कगेण य जे पंच संजोगा दुगेण जे दस इत्यादि, एएसिं चारणीयापओगेण आगयफलगाहाओ तिण्णि वयमिक्कगसंजोगाण हुंति पंचण्ह तीसई भंगा। दुगसंजोगाण दसह तिन्नि सट्ठा सया हुँति // 1 // संजोगाण दसण्ह भंगसयं इक्कवीसई सट्ठा। चउसंजोगाण पुणो चउसट्ठिसयाणिऽसीयाणि // 2 // सत्तुत्तरिं सयाई छसत्तराइंच पंच संजोए। उत्तरगुण अविरयमेलियाण जाणाहि सव्वग्गं // 3 // सोलस चेव सहस्सा अट्ठसया चेव होंति अट्ठहिया। एसो उवासगाणं वयगहणविही समासेणं // 4 // (प्र०) // 1426 //
SR No.600439
Book TitleAvashyak Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size14 MB
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