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________________ E/m श्रीआवश्यक | नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-४ // 1427 // म० अ० 0 | प० / एताश्चतस्रोऽप्यन्यकृताः सोपयोगा इत्युपन्यस्ताः, एतासिं भावणाविही इमा-तत्र ६.षष्ठमध्ययन 2-3 | 2-32-3 2-3 तावदिय स्थापना, थूलगपाणातिवातं पच्चक्खाइ दुविहं तिविहेण १दुविहंदुविहेणं 2 प्रत्याख्यान:, नियुक्तिः दुविहं एक्कविहेणं 3 एगविहं तिविहेणं 4 एगविहंदुविहेण 5 एगविहं एगविहेण 6, एवं 1556-61 थूलगमुसावायअदत्तादाणमेहुणपरिग्गहेसु, एक्कक्के छभेदा, एएसव्वेवि मिलिया तीसं श्रावकभेदाः हवंतित्ति, ततश्च यदुक्तं प्राक् वयएक्कगसंजोगाण होंती पंचण्ह तीसई भंग त्ति तद्भावितम्,8 अणुव्रत१-३ | 1-3 | 1-3 | 1-3 | आफ्ष पएकागतमागाणहातापप भेदाश्च। 1-2 | 1-2 | 1-2 | 1-2 20 -इयाणिं दुगचारणिया-थूलगपाणाइवायं थूलगमुसावायं पच्चक्खाति दुविहं तिविहेण 1 थूलगपाणाइवायं दुविहं तिविहेण थूलगमुसावायं पुण दुविहं दुविहेण 2 थूलग 'पाणाइवायं 2-3 थूलगमुसावायं पुण दुविहं एगविहेण 3 थूलगपाणाइवायं 2-3 थूलगमुसावायं पुण एगविहं तिविहेण 4 थूलगपाणाइवायं २-३थूलगमुसावायं पुण एगविहं दुविहेण 5 थूलगपाणातिवायं 2-3 थूलगमुसावायं पुण एगविहं एगविहेण 6, एवं थूलगअदत्तादाणमेहुणपरिग्गहेसु एक्कक्के छन्भंगा, सव्वेवि मिलिया चउव्वीसं, एए यथूलगपाणाइवायं पढमघरगममुंचमाणेण लद्धा, एवं बितियादिघरएसुपत्तेयं चउव्वीस हवंति, एए य सव्वेवि मिलिया चोयालं सयं, चालिओ थूलगपाणाइवाओ, इयाणिं थूलगमुसावायाइ चिंतिज्जइ-तत्थ थूलगमुसावायं थूलगअदत्तादाणं पच्चक्खाति दुविहं तिविहेणं१थूलगमुसावायं दुविहं तिविहेण अदत्तादाणं पुण दुविहंदुविहेण 2 एवं पुव्वकमेण छन्भंगा नायव्वा, एवं मेहुणपरिग्गहेसु पत्तेयं पत्तेयं छ 2, सव्वेवि मिलिया अट्ठारस, एते मुसावायं पढमघरगममुंचमाणेण लद्धा 18, एवं बीयादिघरेसुवि पत्तेयं 2 अट्ठारस 2 भवन्ति, एए सव्वेवि मेलिया अट्ठत्तरं सयंति, चारिओ थूलगमुसावाओ, // 1427 //
SR No.600439
Book TitleAvashyak Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size14 MB
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