________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-४ // 1425 // 21, अहवा न करेइ न कारवेइ मणसा 1 अहवा न करेइ न कारवेइ वचसा, 2 अहवा न करेइन कारवेइ काएण 3 अहवान ६.षष्ठमध्ययनं करेइन कारवेइ मणसा वयसा 5 अहवा न करेइ न कारवेइ मणसा कायेणं 5 अहवा न करेइ न कारवेइ वयसा कायसा 6 प्रत्याख्यानः, नियुक्तिः अहवा न करेइ न कारवेइ मणसा वयसा कायसा 7, एते करणकारावणेहिं सत्त भंगा 7 एवं करणाणुमोयणेहिवि सत्त भंगा |1556-61 7, एवं कारावणाणुमोयणेहिवि सत्त भंगा, एवं करणकारावणाणुमोयणेहिवि सत्तभंगा 7, एवेते सत्त सत्तभंगाणं एगूणपण्णासं श्रावकभेदाः विगप्पा भवन्ति, एत्थ इमो एगणपन्नासइमो विगप्पो-पाणातिवायं न करेइन कारवेइ करेंतंपि अन्नं न समणुजाणइ मणेणं अणुव्रत भेदाश्च। वायाएकाएणंति, एस अंतिमविगप्पो पडिमापडिवन्नस्स समणोवासगस्स तिविहं तिविहेणं भवतीति, एवं ताव अतीतकाले पडिक्कमंतस्स एगूणपण्णा भवन्ति, एवं पडुपण्णेविकाले संवरेंतस्स एगूणपण्णा भवन्ति, एवं अणागएविकाले पच्चक्खायंतस्स एगूणपन्नासा भवन्ति, एवमेता एगूणपण्णासा तिण्णि सीयालं सावयसयं भवति- सीयालं भंगसयं जस्स विरोही' होति उवलद्धं / सो खलु पच्चक्खाणे कुसलो सेसा अकुसला उ॥१॥ एवं पुण पंचहिं अणुवएहि गुणियं सत्तसयाणि पंचत्तीसाणि सावयाणं भवन्ति,-सीयालं भंगसयं गिहिपच्चक्खाणभेयपरिमाणं ।जोगत्तियकरणत्तियकालतिएणं गुणेकवं। ॥२॥सीयालं भंगसयं पच्चक्खाणंमि जस्स उवलद्धं / सो खलु पच्चक्खाणे कुसलो सेसा अकुसला य॥३॥ सीयालं भंगसयं गिहिपच्चक्खाणभेयपरिमाणं / तं च विहिणा इमेणं भावेक्वं पयत्तेणं // 4 // तिन्नि तिया तिन्नि दुया तिन्निक्किक्का य हुंति जोगेसुं। तिदुइक्वं तिदुइक्कं तिदुएगं चेव करणाई॥५॥ पढमे लब्भइ एगो सेसेसु पएसु तिय तिय तियंति / दो नव तिय दो नवगा तिगुणिय सीयाल भंगसयं॥६॥अहवा अणुव्वए चेव पडुच्च एक्कगादिसंजोगदुवारेण पभूयतरा भेदा निदंसिजंति, तत्रेयमेकादिसंयोगपरिमाणप्रदर्शनपराऽन्यकर्तृकी गाथा॥