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________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-३ // 1083 // 4. चतुर्थमध्ययनम् प्रतिक्रमणं, 4.1 ध्यानशतकम्। सूत्रम् 19(20) पडि०पंचहिं किरियाहिं। द्यर्थं वा गिरिपतनादिना स्वप्राणातिपातं करोति, तथा क्रोधमानमायालोभमोहवशाच्च परप्राणातिपातमिति, क्रोधेनाऽऽक्रुष्टः रुष्टो वा व्यापादयति, मानेन जात्यादिभिहीलितः, माययाऽपकारिणं विश्वासेन, लोभेन शौकरिकः, मोहेन संसारमोचकः स्मार्तो वा याग इति, गता पञ्चमी 5 / क्रियाऽधिकाराच्च शिष्यहितायानुपात्ता अपि सूत्रे अन्या अपि विंशतिः क्रियाः प्रदर्श्यन्ते, तँजहा- आरंभिया 1 परिग्गहिया 2 मायावत्तिया 3 मिच्छादसणवत्तिया 4 अपचक्खाणकिरिया 5 दिठ्ठिया 6 पुट्ठिया 7 पाडुचिया 8 सामंतोवणिवाइया ९नेसत्थिया 10 साहत्थिया 11 आणमणिया 12 वियारणिया 13 अणाभोगवत्तिया 14 अणवकंखवत्तिया 15 पओगकिरिया 16 समुयाणकिरिया 17 पेजवत्तिया 18 दोसवत्तिया 19 ईरियावहिया 20 चेति, तत्थारंभिया दुविहा- जीवारंभिया य अजीवारंभिया य जीवारंभिया- जं जीवे आरंभइ अजीवारंभिया-अजीवे आरंभइ 1, पारिग्गहिया किरिया दुविहा- जीवपारिग्गहिया अजीवपारिग्गहिया य, जीवपारिग्गहिया- जीवे परिगिण्हइ, अजीवपारिगहिया- अजीवे परिगिण्हइ 2, मायावत्तिया किरिया दुविहा- आयभाववंचणा य परभाववंचणा य, आयभाववंचणा अप्पणोच्चयं भावं गूहइ नियडीमंतो उज्जुयभावं दंसेइ, संजमाइसिढिलो वा करणफडाडोवं दरिसेड़, परभाववंचणया तं तं. तद्यथा- आरम्भिकी पारिग्रहिकी मायाप्रत्ययिकी मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी अप्रत्याख्यानक्रिया दृष्टिजा स्पृष्टिजा प्रातीत्यिकी सामन्तोपनिपातिकी नैःशस्त्रिकी स्वहस्तिकी आज्ञापनी विदारणी अनाभोगप्रत्ययिकी अनवकालाप्रत्ययिकी प्रयोगक्रिया समुदानक्रिया प्रेमप्रत्ययिकी द्वेषप्रत्ययिकी ऐपिथिकी चेति। तत्रारम्भिकी द्विविधा- जीवारम्भिकी अजीवारम्भिकी च, जीवारम्भिकी यज्जीवान् आरम्भयति, अजीवारम्भिकी अजीवानारम्भयति, पारिग्रहिकी क्रिया द्विविधा- जीवपारिग्रहिकी अजीवपारिग्रहिकीच, जीवपारिग्रहिकी जीवान् परिगृह्णाति अजीवपारिग्रहिकी अजीवान् परिगृह्णाति, मायाप्रत्ययिकी क्रिया द्विविधा-आत्मभाववचनता च परभाववञ्चनता च, आत्मभाववश्वनता आत्मीयं भावं निगृहति निकृतिमान् ऋजुभावं दर्शयति, संयमादिशिथिलो वा करणस्फटाटोपं दर्शयति, परभाववञ्चनता तत्तदा-2 // 1083 //
SR No.600438
Book TitleAvashyak Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages508
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size35 MB
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