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________________ नियुक्तिः, श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारिक वृत्तियुतम् भाग-१ // 286 // विमलजिणा उप्पण्णो नवहिं अयरेहिणंतइजिणोऽवि। चउसागरनामेहिं अणंतईतो जिणो धम्मो // 12 // 0.3 उपोद्धातधम्मजिणाओसंती तिहि उतिचउभागपलिअऊणेहिं / अयरेहि समुप्पण्णो पलिअद्धेणं तु कुंथुजिणो॥१३॥ 0.3.2 पलिअचउन्भाएणं कोडिसहस्सूणएण वासाणं / कुंथूओ अरनामो कोडिसहस्सेण मल्लिजिणो॥१४॥ द्वितीयद्वारम्, मल्लिजिणाओ मुणिसुव्वओ यचउपण्णवासलक्खेहिं / सुव्वयनामाओ नमी लक्खेहिं छहि उ उप्पण्णो // 15 // वीरजिनादिपंचहिँ लक्खेहिँ तओ अरिट्ठनेमी जिणो समुप्पण्णो / तेसीइसहस्सेहिंसएहि अद्धट्ठमेहिं च // 16 // वक्तव्यताः। गाथा 12-19 नेमीओ पासजिणोपासजिणाओ यहोइ वीरजिणो। अड्डाइज्जसएहिं गएहिँ चरमो समुप्पण्णो॥१७॥ जिनान्तराणि। इयमत्र स्थापना- उसभाओकोडिलक्ख 50 अजिओ, कोडिलक्ख 30 संभवो, कोडिलक्ख 10 अभिनंदणो, कोडिलक्ख नियुक्ति: 416-417 5 सुमती, कोडीओ नउईओ सहस्सेहिं 90 पउमप्पहो, कोडीनवसहस्सेहिं ९सुपासो, कोडीनवसएहिं ९चंदप्पभो, कोडीओ जिनान्तरे णउइओ 90 पुप्फदंतो, कोडीओणवहि उ९सीअलो, कोडीऊणा 100 सा०६६२६००० वरिसाइंसेजंसो, सागरोपमा 54 चक्रवर्ति वासुदेवाः। वासुपुज्जो, तीससागराई 30 विमलो, सागरोवमाई 9 अणंतो, सागरोवमाइं 4 धम्मो, सागरोवमाइं 3 ऊणाइंपलिओवमच-2 उभागेहिं तिहिं संती, पलिअद्धं 2 कुंथू, पलियचउब्भाओ ऊणओवासकोडीसहस्सेण 1 अरो, वासकोडीसहस्सं 1 मल्ली, वरिसलक्खचउपण्णा मुणिसुव्वओ, वरिसलक्ख 6 नमी, वरिसलक्ख ५अरिट्ठनेमी, वरिससहस्सा 83750 पासो, वाससयाई 250 वद्धमाणो। जिणंतराइं॥साम्प्रतं चक्रवर्तिनोऽधिकृत्य जिनान्तराण्येव प्रतिपाद्यन्ते तत्र नि०- उसभे भरहो अजिए सगरो मघवं सणंकुमारो अ।धम्मस्स य संतिस्स य जिणंतरे चक्कवट्टिदुगं॥४१६॥ नि०-संती कुंथूअ अरो अरहंता चेव चक्कवट्टी अ। अरमल्लीअंतरे उ हवइ सुभूमो अकोरव्वो॥४१७ / /
SR No.600436
Book TitleAvashyak Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages498
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size36 MB
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