________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-१ // 281 // नि०- सव्वेऽविगया मुक्खं जाइजरामरणबंधणविमुक्का / तित्थयरा भगवंतो सासयसुक्खं निराबाहं // 390 // निगदसिद्धा॥ एवं तावत्तीर्थकरान् अङ्गीकृत्य प्रतिद्वारगाथा व्याख्याता, इदानीं चक्रवर्तिनः अङ्गीकृत्य व्याख्यायतेएतेषामपि पूर्वभववक्तव्यतानिबद्धंच्यवनादि प्रथमानुयोगादवसेयम्, साम्प्रतं चक्रवर्त्तिवर्णप्रमाणप्रतिपादनायाह नि०- सव्वेऽविएगवण्णा निम्मलकणगप्पभा मुणेयव्वा / छक्खंडभरहसामी तेसि पमाणं अओ वुच्छं // 391 // नि०- पंचसय 1 अद्धपंचम २बायालीसा य अद्धधणुअंच 3 / इगयाल धणुस्सद्धं 4 च चउत्थे पंचमे चत्ता 5 // 392 // नि०-पणतीसा६तीसा७पुण अट्ठावीसा८यवीसइ९धणूणि। पण्णरस 10 बारसेवय 11 अपच्छिमोसत्तयधणूणि१२॥३९३॥ निगदसिद्धाः / / नामानि प्राक्प्रतिपादितान्येव, साम्प्रतं चक्रवर्त्तिगोत्रप्रतिपादनायाह नि०-कासवगुत्ता सव्वे चउदसरयणाहिवा समक्खाया। देविंदवंदिएहिं जिणेहिं जिअरागदोसेहिं // 394 // सूत्रसिद्धा // साम्प्रतं चक्रवर्त्यायुष्कप्रतिपादनायाहनि० चउरासीई 1 बावत्तरी अपुव्वाण सयसहस्साई २॥पंच ३य तिण्णि अ४ एगंच 5 सयसहस्सा उ वासाणं // 395 // नि०- पंचाणउइ सहस्सा 6 चउरासीई अ७ अट्ठमे सट्ठी 8 / तीसा ९य दस 10 य तिण्णि 11 अ अपच्छिमे सत्तवाससया 12 // 396 // गाथाद्वयं पठितसिद्धम् / इदानीं चक्रवर्त्तिनां पुरप्रतिपादनायाह नि०- जम्मण विणीअ 1 उज्झा 2 सावत्थी 3 पंच हत्थिणपुरंमि 8 / वाणारसि 9 कंपिल्ले 10 रायगिहे 11 चेव कंपिल्ले 12 // 397 // 0.3 उपोद्धातनियुक्तिः, 0.3.2 द्वितीयद्वारम्, वीरजिनादिवक्तव्यताः। नियुक्ति: 390 तीर्थकराणां वर्णप्रमाणगोत्रपुरजननीजनकगतयः। नियुक्तिः 391-397 चक्रवर्तीनां वर्णप्रमाणायु:पुरमातापितृगतयः। // 281 //