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________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारिक वृत्तियुतम् भाग-१ // 280 // नि०- भहिलपुर 10 सीहपुरं ११चंपा 12 कंपिल्ल 13 उज्झ 14 रयणपुरं 15 / तिण्णेव गयपुरंमी 18 मिहिला 19 तह चेव रायगिहं 20 // 383 // नि०- मिहिला 21 सोरिअनयरं 22 वाणारसि 23 तह य होइ कुंडपुरं / उसभाईण जिणाणं जम्मणभूमी जहासंखं // 384 // निगदसिद्धाः // भगवतामेव मातृप्रतिपादनायाह नि०- मरुदेवि 1 विजय 2 सेणा 3 सिद्धत्था 4 मंगला ५सुसीमा ६य। पुहवी 7 लक्खण 8 सामा ९नंदा 10 विण्हू 11 जया 12 रामा 13 // 385 // नि०-सुजसा 14 सुव्वया 15 अइरा 16, सिरी 17 देवी 18 पभावई 19 / पउमावई 20 अवप्पा 21 अ, सिव 22 वम्मा 23 तिसला 24 इअ॥३८६॥ गाथाद्वयं निगदसिद्धमेव // भगवतामेव पितृप्रतिपादनायाहनि०- नाभी१जिअसत्तू 2 आ, जियारी 3 संवरे 4 इमेहे ५धरे 6 पइढे 7 अ, महसेणे 8 अखत्तिए॥३८७॥ नि०-सुग्गीवे ९दढरहे 10 विण्हू 11, वसुपूज्जे 12 अ अखत्तिए। कयवम्मा 13 सीहसेणे 14 अ, भाणू १५विससेणे १६इअ॥ 388 // नि०- सूरे 17 सुदंसणे 18 कुंभे 19 सुमित्तु 20 विजए 21 समुद्दविजए 22 अ। राया अ अस्ससेणे 23 सिद्धत्थेऽवि य 24 खत्तिए॥३८९॥ निगदसिद्धाः॥पर्यायो- गृहस्थादिपर्यायो भगवतामुक्त एव तथैव द्रष्टव्यः। साम्प्रतं भगवतामेव गतिप्रतिपादनायाह 0.3 उपोद्घातनियुक्तिः, 0.3.2 द्वितीयद्वारम्, वीरजिनादिवक्तव्यताः। नियुक्तिः 383-389 तीर्थकराणां वर्णप्रमाणगोत्रपुरजननीजनकगतयः। // 280 //
SR No.600436
Book TitleAvashyak Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages498
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size36 MB
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