________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-१ // 279 // पारभविकंचैषां वर्णनामनगरमातृपितृपुरादिकं प्रथमानुयोगतोऽवसेयम्, इह विस्तरभयानोक्तमिति ॥साम्प्रतंतीर्थकरवर्णप्रतिपादनायाह नि०- पउमाभवासुपुजा रत्ता ससिपुष्फदंत ससिगोरा ।सुव्वयनेमी काला पासो मल्ली पियंगाभा॥३७६॥ नि०-वरकणगतविअगोरा सोलस तित्थंकरा मुणेयव्वा / एसो वण्णविभागो चउवीसाए जिणवराणं // 377 // गाथाद्वयं सूत्रसिद्धमेव // साम्प्रतं तीर्थकराणामेव प्रमाणाभिधित्सयाहनि०- पंचेव 1 अद्धपंचम 2 चत्तार 3 छुट्ठ 4 तह तिगं५ चेव / अड्डाइजा 6 दुण्णि 7 अदिवड्ड 8 मेगंधणुसयं 9 च // 378 // नि०- नउई 10 असीइ 11 सत्तरि 12 सट्ठी 13 पण्णास 14 होइ नायव्वा / पणयाल 15 चत्त 16 पणतीस 17 तीसा 18 पणवीस १९वीसा 20 य // 379 // नि०- पण्णरस 21 दस धणूणि य 22, नव पासो 23 सत्तरयणिओ वीरो। नामा पुव्वुत्ता खलु तित्थयराणं मुणेयव्वा / / 380 // एतास्तिस्रोऽपि पाठसिद्धा एव // ३७८-३७९-३८०॥साम्प्रतं भगवतामेव गोत्राणि प्रतिपादयन्नाह नि०- मुणिसुव्वओ अ अरिहा अरिट्ठनेमी अगोअमसगुत्ता / सेसा तित्थयरा खलु कासवगुत्ता मुणेयव्वा / / 381 // निगदसिद्धा / / आयुष्कानि तु प्राक्प्रतिपादितान्येवेति न प्रतन्यन्ते, भगवतामेव पुरप्रतिपादनाय गाथात्रितयमाह नि०- इक्खाग भूमि 1 उज्झार सावत्थि 3 विणिअ 4 कोसलपुरं 5 च / कोसंबी 6 वाणारसी 7 चंदाणण 8 तहय काकंदी 9 // 382 // 0 उसभी पंचधणुस्सय पासो नव सत्तरयणिओ वीरो / सेसट्ठ पंच अट्ठ य, पण्णा दस पंच परिहीणा॥ 1 // (प्र० अव्या०)। 0.3 उपोद्घातनियुक्तिः, 0.3.2 द्वितीयद्वारम्, वीरजिनादिवक्तव्यताः। नियुक्तिः 376-382 तीर्थकराणां वर्णप्रमाणगोत्रपुरजननीजनकगतयः। // 279