________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारिक वृत्तियुतम् भाग-१ // 256 // शेषतीर्थकराणामजितादीनां येषु स्थानेषु प्रथमपारणकान्यासन्यैश्च कारितानि तद्गतिश्चेत्यादि प्रतिपाद्यते, तत्र विवक्षितार्थप्रतिपादिकाः खल्वेता गाथा इति। नि०- हत्थिणउरं 1 अओज्झा 2 सावत्थी 3 तहय चेव साकेअं४। विजयपुर 5 बंभथलयं 6 पाडलिसंड 7 पउमसंडं 8 // 323 // नि०- सेयपुरं 9 रिट्ठपुरं 10 सिद्धत्थपुरं 11 महापुरं 12 चेव ।धण्णकड १३वद्धमाणं 14 सोमणसं 15 मंदिरं 16 चेव॥३२४॥ नि०-चक्कपुरं 17 रायपुरं 18 मिहिला १९रायगिहमेव 20 बोद्धव्वं / वीरपुर २१बारवई 22 कोअगडं२३ कोल्लयग्गामो२४॥३२५॥ नि०- एएसु पढमभिक्खा लद्धाओ जिणवरेहि सव्वेहिं / दिण्णाउ जेहि पढमंतेसिं नामाणि वोच्छामि // 326 // नि०- सिजंस 1 बंभदत्ते 2 सुरेंददत्ते 3 य इंददत्ते 4 / पउमे 5 असोमदेवे 6 महिंद 7 तह सोमदत्ते 8 अ॥३२७॥ नि०- पुस्से 9 पुणव्वसू 10 पुणनंद 11 सुनंदे 12 जए 13 अविजय 14 य / तत्तो अधम्मसीहे १५सुमित्त 16 तह वग्घसीहे 17 अ॥३२८॥ नि०- अपराजिअ 18 विस्ससेणे १९वीसइमे होइ बंभदत्ते 20 अ। दिण्णे 21 वरदिण्णे 22 पुण धण्णे 23 बहुले 24 अ बोद्धवे // 329 // नि०- एए कयंजलिउडा भत्तीबहुमाणसुक्कलेसागा। तकालपट्ठमणा पडिलाभेसुंजिणवरिंदे // 330 // नि०- सव्वेहिपि जिणेहिं जहिलद्धाओ पढमभिक्खाओ। तहिअंवसुहाराओ वुट्ठाओ पुप्फवुट्ठीओ॥३३१॥ नि०- अद्धत्तेरसकोडी उक्कोसा तत्थ होइ वसुहारा / अद्धत्तेरस लक्खा जहण्णिआ होई वसुहारा // 332 // नि०-सव्वेसिपि जिणाणं जेहिं दिण्णाउ पढमभिक्खाओ। ते पयणुपिज्जदोसा दिव्ववरपरक्कमा जाया॥३३३॥ 0.3 उपोद्धातनियुक्तिः, 0.3.2 द्वितीयद्वारम्, वीरजिनादिवक्तव्यता:। नियुक्तिः 323-334 जिनपारणस्थानदातृवृष्टिदातृगतयः। // 256 //