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________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारिक वृत्तियुतम् भाग-१ // 247 // 0.3 उपोद्धातनियुक्तिः, 0.3.2 द्वितीयद्वारम्, वीरजिनादिवक्तव्यताः। नियुक्तिः 290-304 कुमारत्वादि श्रामण्य नि०-संतिस्स कुमारत्तं मंडलियचक्किपरिआअचउसुंपि। पत्तेअंपत्तेअंवाससहस्साइंपणवीसं // 292 // नि०- एमेव य कुंथुस्सविचउसुवि ठाणेसु हुंति पत्ते। तेवीससहस्साई वरिसाणद्धट्टमसया य॥२९३।। नि०- एमेव अरजिणिंदस्स चउसुवि ठाणेसुहंति पत्ते। इगवीस सहस्साईवासाणं ति णायव्वा // 294 // नि०- मल्लिस्सवि वाससयं गिहवासे सेसअंतु परिआओ। चउपण्ण सहस्साई नव चेव सयाइ पुण्णाई॥२९५ / / नि०- अट्ठमा सहस्सा कुमारवासोउसुव्वयजिणस्स। तावइअंपरिआओ पण्णरससहस्स रज्जंमि // 296 / / नि०- नमिणो कुमारवासोवाससहस्साइ दुण्णि अद्धं च / तावइअंपरिआओ पंच सहस्साइंरजंमि // 297 / / नि०-तिण्णेव य वाससया कुमारवासो अरिट्ठनेमिस्स।सत्त यवाससयाइंसामण्णे होइ परिआओ॥२९८ // नि०- पासस्स कुमारत्तं तीसंपरिआओ सत्तरी होइ। तीसा यवद्धमाणे बायालीसा उ परिआओ॥२९९ / / आद्यानां सुविधिपर्यन्तानामनुपरिपाट्येयं श्रामण्यपर्यायगाथा- तद्यथानि०- उसभस्स पुव्वलक्खं पुव्वंगूणमजिअस्सतंचेव। चउरंगूणं लक्खं पुणो पुणो जाव सुविहित्ति // 30 // नि०-सेसाणं परिआओ कुमारवासेण सहिअओ भणिओ। पत्तेअंपि अपुव्वं सीसाणमणुग्गहट्ठाए॥३०१॥ नि०- छउमत्थकालमित्तो सोहेउंसेसओउजिणकालो। सव्वाउअंपि इत्तो उसभाईणं निसामेह // 302 // नि०- चउरासीइ 1 बिसत्तरि 2 सट्ठी ३पण्णासमेव 4 लक्खाई। चत्ता 5 तीसा 6 वीसा 7 दस 8 दो ९एगं 10 च पुव्वाणं // 303 // नि०- चउरासीई 11 बावत्तरी 12 असट्ठी 13 अहोइ वासाणं। तीसा 14 य दस 15 य एगं१६ च एवमेए सयसहस्सा // 304 // नि०- पंचाणउइ सहस्सा 17 चउरासीई अ१८ पंचवण्णा 19 य / तीसा 20 य दस २१य एग 22 सय 23 च बावत्तरी 24 चेव 20 द्वाराणि। // 247 //
SR No.600436
Book TitleAvashyak Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages498
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size36 MB
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