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________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० 0.3 उपोद्धातनियुक्तिः, 0.3.2 द्वितीयद्वारम्, वृत्तियुतम् भाग-१ // 233 // वीरजिनादिवक्तव्यताः। नियुक्ति: 207 शिल्पशतम्। भाष्य: 12-21 नि०- पंचेव य सिप्पाइं घड 1 लोहे 2 चित्त ३णंत 4 कासवए 5 / इक्विक्वस्स य इत्तो वीसं वीसंभवे भेया॥२०७॥ पञ्चैव शिल्पानि मूलशिल्पानि, तद्यथा-घडलोहे चित्तणंतकासवए, तत्र घट इति-कुम्भकारशिल्पोपलक्षणम्, लोहमितिलोहकारशिल्पस्य चित्रमिति-चित्रकरशिल्पस्य णंतमिति- देशीवचनं वस्त्रशिल्पस्य काश्यप इति-नापितशिल्पस्य, एकैकस्य च एभ्यो विंशतिर्विंशतिः भवन्ति भेदा इति गाथार्थः // २०७॥साम्प्रतं शेषद्वारावयवार्थप्रतिपादनायाऽऽह भाष्यकार: भा०-कम्म किसिवाणिज्जाइ 3 मामणा जा परिग्गहे ममया 4 / पुव्विं देवेहिँ कया विभूसणा मंडणा गुरुणो 5 // 12 // भा०- लेहं लिवीविहाणं जिणेण बंभीइ दाहिणकरेणं 6 / गणिअंसंखाणं सुंदरीइ वामेण उवइटुं७॥१३॥ भा०- भरहस्सरूवकम्मं 8 नराइलक्खणमहोइअंबलिणो९।माणुम्माणवमाणप्पमाणगणिमाइवत्थूणं१०॥१४॥ भा०- मणिआई दोराइसुपोआ तह सागरंमि वहणाई 11 / ववहारो लेहवणं कज्जपरिच्छेदणत्थं वा 12 // 15 // भा०-णीई हक्काराई सत्तविहा अहव सामभेआई 13 / जुद्धाइ बाहुजुद्धाइआइ वट्टाइआणं वा 14 // 16 // भा०-ईसत्थं धणुवेओ 15 उवासणा मंसुकम्ममाईआ 16 / गुरुरायाईणं वा उवासणा पञ्जुवासणया॥१७॥ भा०- रोगहरणं तिगिच्छा 17 अत्थागमसत्थमत्थसत्थंति 18 / निअलाइजमो बंधो 19 घाओ दंडाइताडणया 20 // 18 // भा०-मारणया जीववहो 21 जण्णा नागाइआण पूआओ 22 / इंदाइमहा पायं पइनिअया ऊसवा हुंति 23 // 19 // भा०- समवाओ गोट्ठीणंगामाईणंच संपसारो वा 24 / तह मंगलाइंसत्थिअसुवण्णसिद्धत्थयाईणि 25 // 20 // भा०- पुब्विंकयाइ पहुणो सुरेहि रक्खाइ कोउगाइंच 26 / तह वत्थगन्धमल्लालंकारा केसभूसाई 27-28-29-30 // 21 // (c) लोहे (मूले)। 8 // 233 //
SR No.600436
Book TitleAvashyak Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages498
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size36 MB
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