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________________ श्रीसूत्रकृताङ्गं नियुक्तिश्रीशीला वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः२ // 534 // श्रुतस्कन्ध: 2 प्रथममध्ययन पौण्डरीकम्, सूत्रम् 13 (648) भिक्षुस्वरूप: आर्याद्यानराः अप्पणा एवं समभिजाणेजा, इह खलु मम अन्नयरे दुक्खे रोयातंके समुप्पज्जेज्जा अणिढे जाव दुक्खे णो सुहे, से हंता भयंतारो! णायओ इमं मम अन्नयरंदुक्खं रोयातंकं परियाइयह अणिटुंजावणो सुहं, ताऽहंदुक्खामि वा सोयामि वा जाव परितप्पामिवा, इमाओ मे अन्नयरातो दुक्खातो रोयातंकाओ परिमोएह अणिट्ठाओ जाव णो सुहाओ, एवमेव णो लद्धपुव्वं भवइ, तेसिं वावि भयंताराणं मम णाययाणं अन्नयरे दुक्खे रोयातंके समुपज्जेज्जा अणिढे जाव णो सुहे, से हंता अहमेतेसिं भयंताराणं णाययाणं इमं अन्नयरं दुक्खं रोयातंकं परियाइयामि अणिटुंजावणो सुहे, मा मे दुक्खंतु वा जाव मा मे परितप्पंतु वा, इमाओणं अण्णयराओ दुक्खातो रोयातंकाओ परिमोएमि अणिट्ठाओ जावणो सुहाओ, एवमेव णो लद्धपुव्वं भवइ, अन्नस्स दुक्खं अन्नोन परियाइयति अन्नेण कडं अन्नो नो पडिसंवेदेति पत्तेयं जायति पत्तेयं मरइ पत्तेयं चयइ पत्तेयं उववज्जइ पत्तेयं झंझा पत्तेयं सन्ना पत्तेयं मन्ना एवं विन्नू वेदणा, इह (इ) खलु णातिसंजोगाणो ताणाए वाणो सरणाए वा, पुरिसे वा एगतापुट्विंणातिसंजोए विप्पजहति, णातिसंजोगा वा एगता पुव्विंपुरिसं विप्पजहंति, अन्ने खलु णातिसंजोगा अन्नो अहमंसि, से किमंगपुण वयं अन्नमन्नेहिंणातिसंजोगेहिं मुच्छामो?, इति संखाए णं वयं णातिसंजोगं विप्पजहिस्सामो। से मेहावी जाणेज्जा बहिरंगमेयं, इणमेव उवणीयतरागं, तंजहा- हत्था मे पाया मे बाहा मे ऊरू मे उदरं मे सीसं मे सील मे आऊ मे बलं मे वण्णो मे तया मे छाया मे सोयं मे चक्खू मे घाणं मे जिब्भा मे फासा मे ममाइज्जइ, वयाउ पडिजूरइ, तंजहा- आउओ बलाओ वण्णाओ तयाओ छायाओ सोयाओ जाव फासाओ सुसंधितो संधी विसंधीभवइ, वलियतरंगे गाए भवइ, किण्हा केसा पलिया भवंति, तंजहा- जंपि य इमं सरीरगं उरालं आहारोवइयं एयंपिय अणुपुव्वेणं विप्पजहियव्वं भविस्सति, एवं संखाए से भिक्खू भिक्खायरियाए समुट्ठिए दुहओ लोगं जाणेजा, तं०- जीवा चेव अजीवा चेव, तसा चेव थावराचेव॥सूत्रम् 13 // ( // 648 // ) // 534 //
SR No.600435
Book TitleSutrkritang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size24 MB
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