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________________ श्रीसूत्रकृताङ्गं नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः२ // 496 // श्रुतस्कन्धः 2 प्रथममध्ययनं पौण्डरीकम्, सूत्रम् 1-6 (636-641) वापीपुण्डरीकादि निरूपणम् सिया बहुउदगा बहुसेया बहुपुक्खला लट्ठा पुंडरिकिणी पासादिया दरिसणिया अभिरूवा, तीसे णं पुक्खरिणीए तत्थ तत्थ देसे देसे तहिं तहिं बहवेपउमवरपोंडरीया बुइया, अणुपुव्वुट्ठिया ऊसिया रुइला वण्णमंता गंधमंतारसमंता फासमंता पासादिया दरिसणिया अभिरूवा पडिरूवा, तीसे णं पुक्खरिणीए बहुमज्झदेसभाए एगे महं पउमवरपोंडरीए बुइए, अणुपुव्वुट्ठिए उस्सिते रुइले वन्नमंते गंधमंते रसमंते फासमंते पासादीए जाव पडिरूवे / सव्वावंति चणं तीसे पुक्खरिणीए तत्थ तत्थ देसे देसे तहिं तहिं बहवे पउमवरपोंडरीया बुइया अणुपुव्वुट्ठिया ऊसिया रुइला जाव पडिरूवा, सव्वावंति च णं तीसे णं पुक्खरिणीए बहुमज्झदेसभाए एगं महं पउमवरपोंडरीए बुइए अणुपुव्वुट्ठिए जाव पडिरूवे / / सूत्रम् 1 // // 636 // ) ___ अह पुरिसे पुरित्थिमाओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिणीं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासति तं महं एगं पउमवरपोंडरीयं अणुपुव्वुट्ठियं ऊसियं जाव पडिरूवं / तए णं से पुरिसे एवं वयासी- अहमंसि पुरिसे खेयन्ने कुसले पंडिते वियत्ते मेहावी अबाले मग्गत्थे मग्गविऊ मग्गस्स गतिपरक्कमण्णू अहमेयं पउमवरपोंडरीयं उन्निक्खिस्सामित्तिकट्ठ इति बुया से पुरिसे अभिक्कमेति तं पुक्खरिणी, जावं जावं च णं अभिक्कमेइ तावं तावं च णं महंते उदए महंते सेए पहीणे तीरं अपत्ते पउमवरपोंडरीयंणो हव्वाए णो पाराए, अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि निसण्णे पढमे पुरिसजाए! // सूत्रम् 2 // // 637 // ) __ अहावरे दोच्चे पुरिसजाए, अह पुरिसे दक्खिणाओ दिसाओ आगम्मतं पुक्खरिणिं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासति तं महं एगपउमवरपोंडरीयं अणुपुव्वुट्ठियं पासादीयं जाव पडिरूवंतं च एत्थ एगंपुरिसजातं पासति पहीणतीरं अपत्तपउमवरपोंडरीयंणो हव्वाए णो पाराए अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि णिसन्नं, तएणं से पुरिसे तं पुरिसं एवं वयासी- अहोणं इमे पुरिसे अखेयन्ने अकुसले अपंडिए अवियत्ते अमेहावी बाले णो मग्गत्थे णो मग्गविऊ णो मग्गस्स गतिपरक्कमण्णू जन्नं एस पुरिसे, अहं खेयन्ने कुसले जाव // 496 //
SR No.600435
Book TitleSutrkritang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size24 MB
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