________________ नया अभिहिता: अभिधास्यमानलक्षणाश्चेति // 33 // 735 // समाप्तमनाचारश्रुताख्यं पञ्चममध्ययनमिति॥ श्रीसूत्रकृताङ्गं नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः२ // 710 // ॥श्रीमत्सुधर्मस्वामिगणभृत्प्ररूपितं श्रीमच्छीलाङ्काचार्यविरचितायां श्रीसूत्रकृताङ्गवृत्तौ पञ्चममध्ययनं अनाचारश्रुताख्यं समाप्तमिति // श्रुतस्कन्धः२ पञ्चममध्ययनं अनाचारश्रुतम्, सूत्रम् 32-33 (734-735) कल्याणपापनिषेधः 888888888888888888888888888888888888888888888888888888880000000000000000000 // 710 //