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________________ श्रीसूत्रकृताङ्गं नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः१ // 154 / / अनुकूलो पसर्गा: पोषितो वृद्धानां पालको भविष्यसीतिकृत्वा, ततोऽधुना णो अस्मानपि त्वं तात! पुत्र पोषय पालय, कस्य कृते केन कारणेन श्रुतस्कन्धः१ कस्य वा बलेन तातास्मान् त्यजसि?, नास्माकं भवन्तमन्तरेण कश्चित्त्राता विद्यत इति // 2 // 183 // किञ्च तृतीयमध्ययनं उपसर्गपरिज्ञा, पिया ते थेरओ तात!, ससा ते खुड्डिया इमा / भायरो ते सगा तात!, सोयरा किं जहासिणे? // सूत्रम् 3 // // 184 // ) द्वितीयोद्देशकः ___ मायरं पियं पोस, एवं लोगो भविस्सति / एवं खु लोइयं ताय!, जे पालंति य मायरं / / सूत्रम् 4 // // 185 // ). सूत्रम् 3-6 हे तात! पुत्र! पिता ते तव स्थविरो वृद्धः शतातीकः स्वसा च भगिनी तव क्षुल्लिका लघ्वी अप्राप्तवयाँ इमा पुरोवर्तिनी (184-187) प्रत्यक्षेति, तथा भ्रातरः ते तव स्वका निजास्तात! सोदरा एकोदराः किमित्यस्मान् परित्यजसीति // 3 // 184 // तथा मायरमि' त्यादि, मातरं जननीं तथा पितरं जनयितारं पुषाण बिभृहि, एवं च कृते तवेहलोकः परलोकश्च भविष्यति, तातेदमेव लौकिक स्वजनोपसर्गाः लोकाचीर्णम्, अयमेव लौकिकः पन्था यदुत वृद्धयोर्मातापित्रोः प्रतिपालनमिति, तथा चोक्तं- गुरवो यत्र पूज्यन्ते, यत्र धान्य सुसंस्कृतम् / अदन्तकलहो यत्र,तत्र शक्र! वसाम्यहम् // 1 // इति ॥४॥१८५॥अपिच उत्तरा महुरुल्लावा, पुत्ता ते तात! खुड्डया। भारिया तेणवा तात!, मा सा अन्नं जणंगमे।सूत्रम् 5 // ( // 186 // ) एहि ताय! घरंजामो, मा य कम्मे सहा वयं / बितियंपि ताय! पासामो, जामु ताव सयं गिहं / / सूत्रम् 6 // // 187 // ) उत्तराः प्रधानाः उत्तरोत्तरजाता वा मधुरो- मनोज्ञ उल्लापः- आलापो येषां ते तथाविधाः पुत्राः ते तव तात पुत्र! क्षुल्लका ] लघवः तथा भार्या पत्नी ते नवा प्रत्यग्रयौवना अभिनवोढा वा मा असौ त्वया परित्यक्ता सती अन्यं जनं गच्छेत्- उन्मार्गयायिनी स्याद्, अयं च महान् जनापवाद इति // 5 // 186 // अपिच- जानीमो वयं यथा त्वं कर्मभीरुस्तथापि एहि आगच्छ गृहं ®•ष्यतीति..'नः' अस्मा०(मु०)।® सवा-वयणनिद्दसे चिट्ठति चू०।वर्षशतमानः। O तयौवना (मु०)।७ उत्तमा चू० / // 154 //
SR No.600434
Book TitleSutrkritang Sutram Pratham Shrutskandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakiritivijay
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages520
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size36 MB
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