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________________ श्रीस्थानाङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-१ // 72 // द्वितीयमध्ययनं | द्विस्थानम्, प्रथमोद्देशकः | सूत्रम् 58-59 जीवाजीवादिभेदे द्विप्रत्यवतारः सूत्रम् 60 जीवाजीवक्रियादीनि 36 मिच्छादसणवत्तिया चेव तव्वइरित्तमिच्छादसणवत्तिया चेव 18, दो किरियाओ पं० तं०- दिट्ठिया चेव पुट्ठिया चेव 19, दिट्ठिया किरिया दुविहा पं० तं०- जीवदिट्ठिया चेव अजीवदिट्ठिया चेव 20, एवं पुट्ठियावि 21, दो किरियाओ पं० तं०- पाडुच्चिया चेव सामंतोवणिवाइया चेव 22, पाडुच्चिया किरिया दुविहा पं० तं०- जीवपाडुच्चिया चेव अजीवपाडुच्चिया चेव 23, एवं सामंतोवणिवाइयावि 24, दो किरियाओपं० तं०-साहत्थियाचेवणेसत्थियाचेव 25, साहत्थियाकिरिया दुविहापं० तं०-जीवसाहत्थिया चेव अजीवसाहत्थिया चेव 26, एवं सत्थियावि 27, दो किरियाओ पं० तं०- आणवणिया चेव वेयारणिया चेव 28, जहेव णेसत्थिया 29-30, दो किरियाओ पं० तं०-अणाभोगवत्तिया चेव अणवकंखवत्तिया चेव 31, अणाभोगवत्तिया किरिया दुविहा पं०२०-अणाउत्तआइयणताचेव अणाउत्तपमज्जणताचेव 32, अणवकंखवत्तिया किरिया दुविहा पं० तं०- आयसरीरअणवकंखवत्तिया चेव परसरीरअणवकंखवत्तिया चेव 33, दो किरियाओ पं० तं०- पिज्जवत्तिया चेव दोसवत्तिया चेव 34, पेज्जवत्तिया किरिया दुविहा पं० तं०- मायावत्तिया चेव लोभवत्तिया चेव 35, दोसवत्तिया किरिया दुविहा पं० तं०- कोहे चेव माणे चेव 36 // सूत्रम् 60 // आगासेत्यादि आकाशं- व्योम नोआकाशं- तदन्यद्धर्मास्तिकायादि, धर्म:- धर्मास्तिकायो गत्युपष्टम्भगुणस्तदन्योऽधर्म:- अधर्मास्तिकायः स्थित्युपष्टम्भगुणः / सविपक्षबन्धादितत्त्वसूत्राणि चत्वारि प्राग्वदिति / बन्धादयश्च क्रियायां सत्यामात्मनो भवन्तीति क्रियानिरूपणायाह- दो किरिये त्यादि सूत्राणि षट्त्रिंशत्, करणं क्रिया क्रियत इति वा क्रिया, ते च द्वे प्रज्ञप्ते-प्ररूपिते जिनैः, तत्र जीवस्य क्रिया-व्यापारो जीवक्रिया, तथा अजीवस्य-पुद्गलसमुदायस्य यत्कर्मतया परिणमनं सा अजीवक्रियेति, इह चेयशब्दस्य चैवशब्दस्य वा पाठान्तरे प्राकृतत्वाविर्भाव इति, चैवेत्ययं च समुच्चयमात्र एव प्रतीयते, सूत्राणि // 72 //
SR No.600432
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaychandrasguptasuri
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages538
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sthanang
File Size40 MB
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