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________________ श्रीस्थानाङ्गं श्रीअभय० वृत्तियुतम् भाग-१ // 71 // द्वितीयमध्ययन द्विस्थानम्, प्रथमोद्देशक: सूत्रम् 58-59 जीवाजीवादिभेदे द्विप्रत्यवतारः सूत्रम् 60 जीवाजीवक्रियादीनि 36 संसारिणः, तदितरे सिद्धाः, शाश्वताः- सिद्धाः जन्ममरणादिरहितत्वाद्, अशाश्वताः- संसारिणस्तद्युक्तत्वादिति // एवं जीवतत्त्वस्य द्विपदावतारं निरूप्याजीवतत्त्वस्य तं निरूपयन्नाह आगासे चेव नोआगासे चेव। धम्मे चेव अधम्मे चेव ॥सूत्रम् 58 // बंधे चेव मोक्खे चेव 1 पुन्ने चेव पावे चेव 2 आसवे चेव संवरे चेव 3 वेयणा चेव निजरा चेव ४॥सूत्रम् 59 // दो किरियाओपन्नत्ताओ, तंजहा-जीवकिरिया चेव अजीवकिरिया चेव १,जीवकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सम्मत्तकिरिया चेव, मिच्छत्तकिरिया चेव 2, अजीवकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तं०- इरियावहिया चेव संपराइगा चेव 3, दो किरियाओ पं० तं०काइया चेव अहिगरणिया चेव 4, काइया किरिया दुविहा पन्नत्तातं०- अणुवरयकायकिरिया चेव, दुप्पउत्तकायकिरिया चेव 5, अहिकरणिया किरिया दुविहा पन्नत्ता, तं०- संजोयणाधिकरणिया चेव, णिव्वत्तणाधिकरणिया चेव 6, दो किरियाओ पं० तं०पाउसियाचेवपारियावणिया चेव 7, पाउसिया किरिया दुविहापं० तं०-जीवपाउसिया चेव अजीवपाउसियाचेव 8, पारियावणिया किरिया दुविहा पं० तं०-सहत्थपारियावणिया चेव परहत्थपारियावणिया चेव 9, दो किरियाओ पं० तं०- पाणातिवायकिरिया चेव अपच्चक्खाणकिरिया चेव 10, पाणातिवायकिरिया दुविहा पं० तं०-सहत्थपाणातिवायकिरिया चेव परहत्थपाणातिवायकिरिया चेव 11, अपच्चक्खाणकिरिया दुविहा पं० तं०- जीवअपञ्चक्खाणकिरिया चेव अजीवअपच्चक्खाणकिरिया चेव 12, दो किरियाओपं० तं०-आरंभिया चेव परिग्गहिया चेव 13, आरंभिया किरिया दुविहा पं० तं०- जीवआरंभिया चेव अजीवआरंभिया चेव 14, एवं पारिग्गहियावि 15, दो किरियाओपं० तं०-मायावत्तिआचेव मिच्छादसणवत्तिया चेव 16, मायावत्तिया किरिया दुविहा पं० तं०- आयभाववंकणता चेव परभाववंकणता चेव 17, मिच्छादसणवत्तिया किरिया दुविहा पं० २०-ऊणाइरित्त सूत्राणि // 71 // 88880808088888888888880
SR No.600432
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaychandrasguptasuri
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages538
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sthanang
File Size40 MB
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