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________________ श्रीस्थाना श्रीअभय० वृत्तियुतम् भाग-१ // 136 // रक्तारक्तवतीप्रपातह्रदौ गङ्गासिन्धुप्रपातहदसमानवक्तव्यौ, नवरं रक्ता पूर्वोदधिगामिनी रक्तवती तु पश्चिमोदधिगामिनीति। द्वितीयमध्ययन जंबू इत्यादि जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स दाहिणेणं भरहे वासे दो महानदीओ इत्यादि, एव मिति अनन्तरक्रमेण जह त्ति यथा पूर्वं वर्षे 2 द्वौ द्विस्थानम्, तृतीयोद्देशकः द्वौ प्रपातहदावुक्तौ एवं नद्यो वाच्याः, ताश्चैवं-"गंगा 1 सिंधू 2 तह रोहियंस 3 रोहीणदी य 4 हरिकंता 5 / हरिसलिला 6 सीयोया / सूत्रम् 89 सत्तेया होंति दाहिणओ॥१॥सीया य 1 नारिकांता 2 नरकांता चेव 3 रुप्पकूला 4 य। सलिला सुवण्णकूला 5 रत्तवती 6 रत्त सुषमादुष्यउत्तरओ॥२॥(बृहत्क्षेत्र० 171-72) इति / जम्बूद्वीपाधिकारात् क्षेत्रव्यपदेश्यपुद्गलधर्माधिकाराच्चजम्बूद्वीपसम्बन्धिभरतादि मामानम्, सुषमायां सत्ककाललक्षणपर्यायधर्माननेकधाऽष्टादशसूत्र्याऽऽह मनुष्यस्योच्चजंबुद्दीवे 2 भरहेरवएसुवासेसुतीताए उस्सप्पिणीए सुसमदूसमाए समाए दोसागरोवमकोडाकोडीओ काले होत्था 1, एवमिमीसे त्वमायुः, | अर्हदादिवंशः ओसप्पिणीएजाव पन्नत्ते 2, एवं आगमिस्साए उस्सप्पिणीएजाव भविस्सति 3, जंबूद्दीवे दीवे भरहेरवएसुवासेसुतीताए उस्सप्पिणीए देवकुर्वादिषु सुसमाए समाए मणुया दो गाउयाई उई उच्चत्तेणं होत्था 4, दोन्नि य पलिओवमाई परमाउं पालइत्था 5, एवमिमीसे ओसप्पिणीए कालनियमः (आ०१८) जावपालयित्था 6, एवमागमेस्साते उस्सप्पिणीए जावपालिस्संति 7, जंबुद्दीवेदीवे भरहेरवएसुवासेसु एगसमये एगजुगेदो अरिहंतवंसा उप्पजिंसु वा उप्पजंति वा उप्पजिस्संति वा 8, एवं चक्कवटिवंसा 9, दसारवंसा 10, जंबूभरहेरवएसु एगसमते दो अरहंता उप्पजिंसु वा उप्पाजंति वा उप्पजिस्संति वा 11, एवं चक्कवट्टिणो 12, एवं बलदेवा एवं वासुदेवा (दसारवंसा) जाव उप्पजिंसुवा उप्पजंति वा उप्पजिस्संति वा 13, जंबू० दोसु कुरासु मणुआ सया सुसमसुसममुत्तममिट्टि पत्ता पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं० // 136 // Oगङ्गासिन्धू तथा रोहितांशा रोहिनदी च हरिकान्ता। हरिसलिला शीतोदा सप्तैता भवन्ति दक्षिणस्याम्॥१॥ शीता च नारीकान्ता नरकान्ता चैव रूप्यकूला च / सलिला सुवर्णकूला रक्तवती रक्ता चोत्तरस्याम् // 2 //
SR No.600432
Book TitleSthanang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaychandrasguptasuri
PublisherShripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
Publication Year2012
Total Pages538
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sthanang
File Size40 MB
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