________________ भविष्यदत्तचरित्रम नवमो:धिकार परिपाय दुकूलादिनि, स्वभाले तिलकं दधौ / अधरेऽलकजं रागं, कज्जलं नयनाम्बुजे // 82 // पुत्रवैभवसम्भारान्मानसं समलतम् / ततो बहिर्विभूषाभिस्तया देव्येव शोभिते // 83 // श्रोत्रयोनिहिते धाम-मण्डले कुण्डले तया। विरेजाते जगज्जेतुश्चक्रे इव मनोभुवा // 84 // सराभिस्तिसभिस्तस्या, ग्रैवेयकमदीपत / प्रसप्पंर्पकन्दर्प-त्रिवेणीतीर्थवधुवम् // 5 // हृदये मौक्तिकी माला, न्यस्ता सद्गुणशालिनी / मुखेन्दोरिव पीयूष-धाराऽऽधाररसश्रियः॥८६॥ काञ्चनाऽचलबत्तुङ्गो, स्तनावुभयपाश्चयोः / हृदयस्थितकामस्य, प्रासादाविव रेजतुः // 87 // रणन्ती रसना सार-किङ्किणीनां रणत्कृतैः / नितम्बे शुशुमे तस्याः, स्मरमाकारसन्निभा // 88 // वलयैः कलयैवान्तर्मणीनां बाहुसंस्थितैः / लावण्याम्बुधेर्वीचिति, वलयश्रीविशेषिता / / 89 // केयूरकणारोपाद्, भुजौ तस्याश्चकासतुः / मृणालशोभया पिक-भृङ्गशकारयुक्तया // 90 // स्वर्णनूपुरशब्देन, राजहंसपरिक्रमम् / क्रमणौ पचनेत्रायाः, स्फुटं सूचयतो जने // 91 // मुतः स्वर्णविभूषाभिभूषितां मातरं जगौ / नाम मुद्रां समादाय, गच्छस्व त्वं स्ववेश्मनि // 92 // परिवारेण सारेण, स्फारालङ्कारधारिणा / लीलया हस्तिनीवाऽगात्, चलन्ती कमला गृहम् // 93 // नागानेव भूभागादागाद्रूपेण सुन्दरी / पुरन्दराम्भोजनेत्रा, नरलोकमिवेयुषी // 94 // विस्मयं नागरनृणामानयन्ती प्रतिस्थलम् / अपूर्वरूपसंपत्त्या, कमलाऽभिनवा बभौ // 15 //