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________________ भविष्यदचचरित्रम पञ्चमोऽधिकारः पम्मिल्लवेल्लत्पुष्पोषैस्तस्यास्तारा वशीकृतौ / न विस्मयः सूर्यरुचेः स्थैर्ये सीमन्तनाऽगजे // 37 // राशा भशाऽनुरागेण, पश्यन्नेता सविभ्रमं / रसेन रमसंपत्त्यै, समालापयदेषकः // 38 // कासि त्वं कारणात् कस्मादस्मिन् शून्ये पुरे स्थिता / पीनस्तनि ! घनस्नेहात्सन्देहं मे व्यपाकुरु // 39 // पुरा पुराधिपोऽस्मिन् कः, शून्यं तत्केन हेतुना / परवस्तुनि चित्रं नो, विश्वसारत्वमत्र किम् // 40 // इति सम्भाषिताऽनेनाऽधोमुखी, मुमुखी स्थिता / गलदश्रुर्दशोलानकपोला कज्जलद्रवैः // 41 // ततः पुनरुवाचेमां, त्वन्मौनात्कोकिलीमिया / जडानां तेन वाचा त्वं, तान् विवेचय कामिनि ! // 42 // त्वन्मुखेन्दुरुचा वीक्षावशेनाऽत्राऽतिर्मुखम् / विशदीकुरु देवेन, पापितस्य पुरस्तव // 43 // त्वत्करग्रहणान्नीरभृङ्गारस्याऽपि सौष्ठवम् / सफलीकुरु नेत्राजक्षालनादनुवीक्षणात् // 44 // ततः सा सम्भ्रमाद्वासः, संवृत्योत्थाय संमुखम् / तस्य व्यापारयामास, नेत्रे जलपरिग्रहे // 45 // कटाक्षान् क्षेपयन्ती सा, तं निरीक्ष्य व्यचिन्तयत् / कोऽप्यसौ साहसी प्राप्तः, कुमारः शून्यमन्दिरे // 46 // अहं तु दग्धा देवेन, विमुग्धा स्वजनैविना / कुलकन्या पुरश्चैनं, कथं सम्भावयेऽधुना // 47 // इत्यामृश्य वामपादेनोल्लिखन्ती भुवं स्थिता / विहस्य कमलासूनुराललाप ततो ह्यमूम् // 48 // मानमुत्सारय स्वीयमातिथ्यं तथ्यमाचर / विनयेन कुलाचारे, भवत्युत्तमता स्फुटा // 49 // सुवर्णमयभृङ्गारे, पिधाय जलसम्भृतम् / अर्घाय पुरतो न्यास्थन् , मंक्षु भर्तुरिवाऽस्य सा // 50 //
SR No.600427
Book TitleBhavishyadutta Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
PublisherMafatlal Zaverchand Gandhi
Publication Year1936
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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