SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 125
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भविष्यदत्तन चरित्रम चतुईसमोर विकार शरासारेण सारेण, कृतमावरणा चमू / पराङ्मुखी बभूव द्राक्, कुरुभूपस्य पश्यतः // 111 // रणाङ्गणं परित्यज्य, प्रहारजर्जरीकृताः। निरीयुः सुभटाः केचित्, स्वीयसद्मयियासवः // 112 // तान् दृष्ट्वा तुमुलो जज्ञे, कुरुजङ्गलमण्डले / चलाचलतया लोकाश्चकार वनसङ्ग्रहम् // 113 // हाहाकारं वितन्वन्तः, सकले हस्तिनापुरे / अन्योऽन्य क्षोभयामासु-र्भयान्नागरिकाः जनाः // 114 // निचिक्षिपुर्घरामध्ये, धनानि भयसंभ्रमात् / शिरोगृहं समारुह्य, तस्थुः केऽपि सविस्मयम् // 115 // कार्य विघटितं दैवात्, पपात यदि वा नृपः / सामन्ताः प्रलयं पापुरहो देवस्य चेष्टितम् // 116 // भनमायाति कटकं, कांदिशीकमनायुधम् / आत्मीयमिति भूपेन, चेतसाऽचिन्ति विभ्रमात् // 117 // सद्यः समागतान् लोकान, पप्रच्छ भयकारणम् / भविष्यकुशलं भूयस्तेऽप्याचख्युनरोत्तम ! // 118 // सर्वाभिसारात् संना, सामन्ताः पोतनेशिनुः / युद्धेन दुर्द्धराश्चक्रुः, न्याकुलां वाहिनी तव // 119 // नश्यतः सुभटान स्वीयान्, पश्यन्तो वयमप्यहो / धनस्वजनरक्षायै, सम्माप्तास्त्वरया पुरम् // 120 // न जानीमो भविष्यः किं, राजन् ! जीवति वा मृतः। स्थिताः पलायिताः किं वा, सामन्तास्ते दिशोदिशम् // 121 // उच्छलधूलिसम्भारादंधकारे महीयसि / बुद्धिर्विचलिता सर्वा, शुद्धिः किं कस्य संभवेत् // 122 // इत्यं तद्वचसा श्रेष्ठी, पुरमाकाररक्षकान् / आदिदेश प्रतोलीनां, पिधानं कुरु तद् द्रुतम् // 123 // राजाऽपि दूतं संप्रेपोत, वत्स! वीरोऽसि मा भयम् / वहस्व मामपि प्राप्तं, त्वरयाऽवेहि संयुगे // 124 //
SR No.600427
Book TitleBhavishyadutta Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
PublisherMafatlal Zaverchand Gandhi
Publication Year1936
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy