________________ बादशमोऽ भविष्यदचचरित्रम 93 धिकारः अन्येयुः पुत्रमामन्य, भाषे कमलश्रिया / स्मरन्त्या पूर्वसन्ताप, भर्तुर्षिकरणादिकम् // 77 // राजाझया पितुर्मातुः, प्रेरणादहमागमम् / गेहे स्नेहेन हीनाऽपि, पितुः स्थानाप्तयै [ये] तव // 78 // कुलमण्डनमेव त्वं, सेवस्व पितरं निजं / वंशं नन्दयतु पुत्रैजैनधर्म समाचरन् // 79 // रमस्त्र कान्तया साई, यथेच्छं राजहंसवत् / वत्स ! दुःखमभूदेतयत् त्वं नाप्तः पितुर्ग्रहम् // 8 // धर्मप्रसादान्मे दुःखं, विलीनं तव भाग्यतः। यास्येऽहं पैतृगेई सा, भणन्तीति ययौ ततः॥ 81 // वर्भविष्या शिष्यावत, तां विशिष्याऽन्वगात् गृहात / किं करोषि रुषा त्यवत्वा, मां क गन्ताऽसि हेऽम्बिके / / 82 // यद्याकारयिता भर्ता, मां सादुनयमादरात् / तदा तया सहवाऽऽवामेष्यावो मातराग्रहात् // 83 // सवधकाऽवधूय स्वान्, कमलश्रीहरेगृहे / प्राप्तां तां तनयां लक्ष्मीर्वीक्ष्यान्तर्मुमुदेतराम् // 84 // पश्रमातुः पदोलग्ना, भविष्या साऽपि तां क्षणात् / करेणोदंचितामूचे पूतं सम्पति मेजणम् // 85 // [पत्युविरहदाहेन, दग्धा दुर्जनपीडिता / शोलरक्षा त्वया नित्य, तत्परीक्षाऽधुना कृता // 86 // नृपास्थाने सुपावित्र्य, वृतान्तं प्राप्य स्वपतिः] / रन्जितो निर्जितः पापी, दुर्जनो बन्धुदत्तकः // 8 // श्रेष्ठिना मातहतेन, भविष्योऽभाणि पुत्र ! हे!। मातुः स्वभावमुत्तश्याऽवश्यं वश्यंकरं नृणाम् // 88 // त्वया मया वा केनापि, नाऽपरादा न कोपिता / स्वं वधूं समुपादाय, गतापितगृहे कथम् // 89 // आहूय भूयः सौजन्य, मन्यमानेन भूभुजा / प्रापिता सादरं गेहं, तद्वागपि न मानिता // 90 //