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________________ भविष्यदत्त-४ चरित्रम बादशमो. चिकाट सम्यक्त्वमात्रसन्तुष्टाः, व्रतशीलेषु निस्पृहाः / तीर्थप्रभावनोधक्तास्तृतीयं पात्रमुच्यते // 51 // ततः श्रीशङ्कपुष्कल्पादिभिः श्राद्धवरैर्मियः / श्रीपाक्षिकदिने सर्व-साक्षिकी भक्तिरादधे // 52 // भगवत्यामिदं व्यक्तं, श्रूयते परमागमे / इष्टभोजनदानस्य, पौषधमतिपादनात् // 53 // पष्ठाने स्वगुरोश्वारुवर्णनाऽऽकर्णनात्कृतं / सुदर्शनश्रेष्ठिनाऽपि, मान पीठादिदानतः // 54 // उपासकदशापि, सदालपुत्र वात्तिके। भगवद्वर्णनात्पीठ-फलकादि समर्पितम् // 55 // कीर्तिदानमिदं मोक्तं, कीर्तनादईतो गुरोः / साधर्मिकचरित्रादेर्न पुनः स्वस्य कीर्तनात् // 56 // यतः न दद्याद् यशसा दानं, नोभयत्रोत्रापकारिणे / न गीतनृत्यशीलेभ्यो, हासकेभ्यश्च धार्मिकः॥ 57 // दयावात्सल्यमौचित्य, गुणज्ञानमुदारता / धर्मास्तिक्यं च दानस्य, मूलकारणपश्चकम् // 58 // चित्तं वित्तं च पात्रं च, सुक्षेत्रं कर्मलाघवं / पवित्रपात्रदानस्य, मूलकारणपञ्चकम् // 59 // आनन्दाऽश्रुणि रोमाञ्चो बहुमानं प्रियं वचः। किश्चानुमोदना पात्रदानभूषणपञ्चकम् // 6 // अनादरो विलम्बश्व, वैमुख्यं विप्रियं वः / पश्चात्तापश्च पञ्चाऽमो, सदानं दूषयन्ति हि // 61 // निषेधयन्ति ये दानं, वृत्ति विदलयन्ति ते / इति सूत्रकृदकोक्तेने कार्य दानवारणम् // 62 // सप्तमाङ्गेऽन्यतीर्थानां, यद दानस्य निषेधनम् / पञ्चमाङ्गेऽप्यविरत-दानं तत्पापकर्मणे // 63 // अन्यत्राऽपि कुपात्राय, दानादश्वगजादयः / जायन्ते तेन नो पात्रं, विना दानं प्रतीयत // 64 // यतः-परतित्थियाण पण मण उज्ज्ञावणकणण भत्तिरागं च / सकारं सम्माणं, दाणविणयं च बजेई // 65 // SONACLEOXXXXXXXXXXX
SR No.600427
Book TitleBhavishyadutta Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMeghvijay Gani, Mafatlal Zaverchand Gandhi
PublisherMafatlal Zaverchand Gandhi
Publication Year1936
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size12 MB
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