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________________ तवृत्तांतः श्रुतस्तत्र ह्यत्रास्ति मत्पितुहम् // ततोऽतीव सुसंहृष्टा प्रोवाच सा शुकं प्रति // 30 // मम पावे समागत्य ममोत्संग मलंकुरु // तस्यास्तन्मधुरं श्रुत्वा वचः शुकेन तत्कृतम् // 301 // KE अंगसंवाहनं तस्य कुशलपश्नपूर्वकम् // प्रमुदिता सती कृत्वा कन्याऽपि सावदत्तदा // 302 // शुकराज सनाथास्मि ह्यद्याहं तव दर्शनात् // आगतोऽसि सुभाग्येन नूनं मे दृष्टिगोचरम् // 203 // अथ विक्रमराज्ञे त्वं मदीयमेकवाचिकम् // प्रसादं मयि कृत्वा च कथयेः सत्वरं शुभम् // 304 // * अन्यथा यदि ते पापं स्त्रीहत्याया भविष्यति // इत्युक्त्वाथ तयैकस्मिन् पत्रखंडे शुभाक्षरम् // 305 // श्लोकमेकं लिखित्वा तत् पत्रं तस्मै समर्पितम्॥ कथितं पत्र मेतच्च विक्रमाय समर्पयेः // 306 // E पद्मतुलारदौ रक्तौ तिलकं मंजरीयुतम् // मुखे दशांगुलीक्षेपः कथमेतत्तवानघ // 307 // इत्यासीलिखितं तत्र श्लोकरुपं गूढाक्षरम् // अथ तत्पत्र मादाय स शुकोऽपि ततः स्थलात् // 308 // K द्रुतमुड्डीय तत्पुर्या मुज्जयिन्यां समागतः॥ तेनाऽपि श्लोकपत्रं तद् विक्रमाय समर्पितम् // 309 // राजाऽपि वाचयित्वा तं श्लोकं चित्ते चमत्कृतः // पंडितेभ्यो ततस्तत्र तदर्थ परिपृष्टवान् // 310 // उज्जयिन्या मितश्चैको वसतिस्म महाधनी // महिराजाभिधो नाम्ना तत्पुत्रोऽस्ति महामतिः // 311 //
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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