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________________ भांडांगारी तदा तस्यै मूल्यं दत्वा समानयत् // सत्वरं तालवृतं च तस्मै राज्ञे समापर्यत्॥११२॥ अथ राजाऽपि तं दृष्ट्वा तालतं चमत्कृतः // अवदच्चास्य कर्तारं मत्समीपे समानय // 113 // सा भाण्डागारिणा वृद्धा नृपाये स्थापिता तदा // राज्ञा पृष्टं च भोवृद्धे केनेयं चित्रिता कला // 114 // E सावदच्चापि हे स्वामिन् ममांगजेन तत्कृतम् // नृपेणोक्तं च भोवृद्धे यदि पुत्रोऽस्ति तादृशः // 115 // / एतावदिनपर्यन्तं प्रादूर्भूतः कथं न सः // वृद्धा जगाद हे स्वामिन्नायं मे सत्यपुत्रकः // 116 // वैदेशिको मया कोऽपि वचनेनांगजीकृतः // राजा प्राहाथ जोमातः सोऽत्र त्वया ममान्तिके // 11 // द्रुतं प्रेष्य स्तदा साप्योमिति कृत्वा गृहं गता // प्रेषितोऽथ तया सोऽपि सहसांको महाद्युतिः॥११८॥ द्रुतं राजजनैः सार्द्ध नृपपार्श्व समागतः // मुदितेन नृपेणाथ कलाज्ञानं प्रशंसितम् // 119 // पूजितश्चमहास्नेहात् प्रोक्तश्चासौ महामतिः॥ सहसांक त्वया चात्र प्रत्यहं राजसन्निधौ // 120 // समागन्तव्य मित्युक्त्वा राज्ञा सोऽपि विसर्जितः // हर्षयुक्तो निजावास माजगाम स बुद्धिमान् // 12 // अथ स सहसांकोऽपि नित्यं राजसभां प्रति // प्रामोदयन्नृपं गत्वा भृशं शास्त्रविनोदतः // 122 // | कदाचिद्धर्षपूर्णेन राज्ञोक्तं भो महायुते // अन्यां कांकां कलां वेत्सि सहसांक वदाधुना // 123 //
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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