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________________ चरित्रम् श्री सदैववत्स सहस्रपाकतैलाद्यभ्यंगेन सा मनोरमा // सजदेहा कृता तेन मनोज्ञाहारतस्तदा // 8 // अथास्याः पूर्ववद्रूपम् प्रादुर्भूतं मनोहरम् // दृष्ट्वा विद्याधरेन्द्रोऽपि मुमोह मदनाश्रयः // 81 // कामवाणैः सुसंविको रागान्धः सन्नपत्रपः प्रार्थयामास भोगाय तां विविधप्रियोक्तिभिः // 82 // सुंदरि स्वीकुरु त्त्वं मां विद्याधरीसुसेविता // मुंव भोगान् मया सार्द्ध पञ्चेन्द्रियसुखप्रदान् // 83 // Ka यतः॥ नवि अच्छि नविय होहि / सो जीवोति हुयणमि सयलंमि // जो जीवण मणुपत्तो / वियारहि उसयाहो॥ मांसं मृगाणां दशना गजानां चर्म द्विपारेः सुफलं तरूणाम् // वित्तं नराणां वपुरङ्गनानां गुणाधिका वैरकरा भवन्ति // 84 // तयोक्तं तातरूपस्त्वं जीवितदानमात्रतः // जातोऽसि मे तवाहं च पुत्री तुल्याऽस्मि सांप्रतम् // 85 // रम्यरूपा भवद्रामाः सन्ति किं प्रार्थने मम // पादयोस्ते पतित्वाहं प्रार्थयामि पुनः पुनः // 86 // अतः पुत्रीसमं कार्य मया साई कुरुष्व भोः // इति तद्वाक्यचातुर्यशीलादिगुणरंजितः // 87 // हृदये प्रतिबुद्धस्तां पुत्रीत्वेन प्रपन्नवान् // संतुष्टः स ददौ तस्यै परममौषधीद्वयम् // 8 //
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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