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________________ | हेदेवि ललनामध्ये गमनं मे शोभनं नहि // अतस्त्वं व्रज तत्राथ विलोकय द्रुतं च का // 413 // वर्तते नायिका मुख्या किमर्थ तत्र सन्ति ताः ॥स्थिता एव मिति झात्वा नत्वा देवं तथा पुनः॥४१४॥ समागच्छेति सा भर्तु रादेशं प्राप्य मध्यतः // प्रासादस्य जगामाथ वीणानादयुतं खलु // 415 // तत्र काश्चन गायन्ति पूजयन्ति च देवताम् // काश्चन केसरेणाथ चन्दनेन तथैव च // 416 // पूर्णकच्चोलहस्तास्ता स्तद्देवं पूजयन्ति च // लीलावती च तास्वेका रूपनिर्जितरम्भिका // 417 // | बाला स्त्रीणां तथाग्रे च ह्युपविष्टा ध्यायति शुभम् // सावलिंगा समासन्ना पंचांगैश्च प्रणामतः // तस्यास्तत्र युगादीशं नत्वा स्तौति च देवताम् // 418 // - नान्यं वदाभि न भजामि नवाश्रयामि // नान्यं शृणोमि न यजामि न चिंतयामि // लब्ध्वा त्वदीयचरणांबुज मादरेण श्रीवीतराग भगवन् भज मानसं मे // 419 // ततोऽसौ सावलिंगा वै ध्यानस्थां तामुवाचह // हेसखि त्वामहं वन्दे सावलिंगां तदा खल्लु // 420 // नवीनां च सुरूपां च वैदेशिकी तथैव च // ज्ञात्वा मुमोच सा वाला निजध्यानं विधानतः // 421 // | अनिनवजनालोके विदेशवार्तादिकौतुकप्रश्ने // देशाचारविचारे कस्य मनो नोत्सुकीभवति // 422 //
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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