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________________ KE शौर्य-धैर्य-गांभीर्य-औदार्य-परोपकारित्व-न्यायवर्तित्व- निर्लोभता-अभयदान-दातृत्व-सत्त्वादि-व्यवहारिक KE गुणोनुं तथा पारमार्थिक गुणोनुं वर्णन कर्या पछी तेने जे प्रकारे शुद्ध जैन धर्मनी प्राप्ति थइ छ, K ते बाबत वर्णन करेलुं छे। तेमज वच्चे वच्चे तेनी पत्नी सावलिंगना प्रसंगे सती स्त्रीओना धर्मनो महिमा वर्णव्यो छे / तो संसारनी माया कपटजालनी ओलखाण करावी वैराग्यभावना जाग्रतकर नारा आवा महात्मापुरुषोना चरित्रो सांभलवाथी घणा भव्यजीवो बोध पामे छे। तेथी आवा चरित्रो Ka वक्ता तथा श्रोता जनोना इदयने आनंद आपनारा थाय छे। आवा हेतुथीज आ चरित्र पण छपावी प्रगट करेलुं छे। आ चरित्रने बनतो प्रयास करी शोधाव्युंडे। छतां शोधकना प्रमादथी अथवा बापK वाना दोषी को कोइ स्थले अशुद्धिरहेली होयतो सत्पुरुषोए कृपा करी शुद्धकरीने वाचवू / / या चरित्र रांधनपुरनगरमा विक्रम संवत् 1986 ना माघ मासनी पूर्णिमाने दिवसे संपूर्ण | कर्युठे। इति शुभं भूयात् // संवत् 1988 ना वर्षमां आ चरित्र छपावी प्रसिद्ध कर्युठे. //
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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