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________________ / प्रस्तावना // अई // आसंसारमागरमां, मनुष्य जन्मरूपरत्ननी प्राप्ति यवा अतीव दुर्लन छे / कारण के ? ज्या अनेक नवोपार्जित पुण्यनो उदय थाय छे, त्याज मनुष्यजन्मनीप्राप्ति थाय छे / / मनुष्यजन्मी धर्म अर्थ काम अने मोक्ष। चार पुयायी साधी शकाय छ। माटे मनुष्यजन्मनी प्राप्ति थर्श अत्यन्त दुर्लभ छे / तो ज्या सुधी शुद्ध जेन धमनी प्रालि न पाय, त्यां सुधी मनुष्य जन्म मल्या छतां न मल्या जेवो वृथा टेनेथीज जिने वाला शासनमा द्रव्यानुयोग-गणितानुयोग-चरणकरणानुयोग-तथा धर्मकथानु योग ए चार योग! प्रसिद्ध छे। शुद्धजेन वर्मनी प्राप्ति थवामां घणुकरीने धर्मकथानुयोगज सर्व भव्य जीवाने उपकारक श्राय छ / तेमज वर्मकथानुयांगना वीजा त्रण योगो अलंगे मग देवाला / नेयी पूर्वना आचार्योर पण धर्मकथानुयोजना विषयमा वा अन्यो ग्चेलाने, ए अनुभवगम्यछे / तो आ सदैववत्सुमार चरित्र पण एक धर्मकथानुयोग विषयनुजछे / आ चरित्रनी अंदर छा रसोनुं वर्णन संक्षेपथी करबुंछे। तेमज आ चरित्रमा सदैववत्सकुमारना
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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