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________________ सा सती या दिया भतुः संमुखे दिवसेऽनुगा // तनुच्छायेव धैर्यण प्रयातेऽस्मिन् पुरो भवेत्॥३०३॥ सरसीव पयःपूर्णे सर्वमृष्ठौ समं भवेत् // ज्ञेयः स्वपरयो मेंदः शुष्कस्मिन्नुच्चनीचवत् // 30 // पंगुं मूकं च कुब्जं च कुष्टांगं व्याधिपीडितम् // आपत्सु च गतं नाथं न त्यजेत्सा महासती // 305 // वाक्ययुक्तिं च तस्या वै श्रुत्वावाच कुमारकः॥ हे प्रिये कन्दरास्वबं गिरिष्वरण्यकेष्वपि // 306 // भ्रमिष्यामि यथाहं वै कथं त्वं तु भ्रमिष्यसि // सा प्राह नाथ हे मे त्वं वल्लभ प्रियकारक // 307 // छाया देहस्य किं विद्वन् नान्यत्र चैव तिष्ठति // विना त्वां नैव हे राजन्नहं स्थास्यामि निश्चितम्॥३०८॥ // रणंपि होई वसिअं--जस्सहिअ वल्लहो जणो वसइ // पिय विरहियाण वसिअंपि होइ अडवीइसारिछं // // ततस्तस्या निशम्याथ सार्थागमननिश्चितम् // चलनायानुमेने वै ततः सार्थे कुमारकः // 309 // सावलिंगा च वैश्वधू प्रतिजगाद रागतः॥ कदाचिद्यन्मया मातः त्यक्तवधूटीधर्मया // 31 // युष्माकमपराधो वै कृतो भवेत्प्रमादतः // भवतीभिश्च सोढव्य इत्यभिधाय पपात सा // 311 // पादयोर्विधिवत्तस्याः पत्यनुगमनाय च // अनुमन्यस्व मामेवं कथयित्वा चचाल सा // 312 //
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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