________________ समयेऽस्मिस्तुराज्यस्यश्रियोऽलंकरणंमहत् तत्र पदृगजेन्द्रोहि राज्ञःप्रणतयेखनु // 176 // | लीलया सचभूपाग्रे समागाजयमंगलः // शास्त्र आयुगजानां वै वर्षाणां श्रूयते शतम् // 177 // - पृष्टं विप्रायतस्मै वै तदायुरेवतत्वतः // भूपतिना च तेनापि लग्नं दृष्ट्वा विशेषतः // 178 // प्रोक्तं च शृणु राजेन्द्र वक्तव्यसदृशं नहि // कुतोराजाह तेनोक्त मप्रीतिजननात्तव // 179 // अप्रीतिकरणे राज्ञो महानुपद्रवो भवेत् // यात्मनश्चैवभोराजन्नुत्पादितस्ततस्त्यजेत् // 180 // // जोपव्वया सिरसाभितुमिछे सुतंवसीहं पडिवोहएजाजो बाध्येसति अगोपहारं एसोवमायायणयागुरूणम् // // - राज्ञोचे वद भूदेव यथा दृष्टं त्वयानघ // विप्रेणोक्तंच हे राजन् गजवाः शृणु ध्रुवम् // 181 // आगामिदिवसे नूनं प्रहरद्वयकालतः // गजस्यास्य महाराज मरणं च भविष्यति // 182 // R- राजारुष्टस्ततोऽनेन स्वेष्टगजवियोगिना // वचनेनचविप्रश्च सभाजनैश्चनिंदितः // 183 // विप्रः कारागृहेक्षिप्तो रक्षणार्थ च तस्यवै // जना मुक्ता जनाः सम्यग हसन्ति सकला द्विजम्॥१८॥ गजस्य मरणं ज्ञातं दैवज्ञेन परं नहि // कारागृहे निजस्याहो पातो ज्ञातो न तेन च // 185 //