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________________ के कुमारवरा यूयं बद्धा आसंश्च तैः कथम् // तदाकाथ ते प्रोचुः शृणु त्वं भो नरोत्तम // 59 // Ka कुमाराः स्मो वयं सर्व नगरस्यास्य भूपतेः॥ हठादानीय बद्धाः स्मो भूतै रत्र वयं च तैः // ५९अ॥ तेषां शाकपदेऽस्माकं कर्तु मिच्छा तु भोजने // आसीत् परं वयं मुक्ताः कृपालो बन्धनात्त्वया // 60 // | जीवितव्ये परं चातःप्रसादोस्ति तवैव नः // क्षत्रियेणाथ ते मुक्ताः प्रासादे नगराबहिः // 61 // | स्वस्थाने ते ततः प्राप्ताः क्षत्रियोऽपि गतश्च सः॥ सुहृदो यत्र सुप्तास्ते श्मशाने तत्र सत्वरम् // 6 // | सुहृदस्ते त्रयोप्येवं स्वस्वं नैव परस्परम् // वृतान्तं कथयामासुः पूर्णोऽभूत् प्रहरश्च सः // 63 // | सदयोऽथ समुत्तस्थौ चतुर्थप्रहरे स्वयम् // सुप्ताः संति त्रयोऽपि ते तदाऽभूत् कौतुकं महत् // 6 // इतस्तन्मृतकं प्राह चोत्थाय सदयं प्रति // भो पुरुष मया साधे द्यूतं त्वं रमसे नवा // 65 // | सदयः प्राह वेताल प्रतिज्ञास्ति यथा मम // इति कोऽपि संग्राम द्यूतं वा प्रार्थयत्यपि // 66 // | तस्य न प्रार्थनाभंगो विधेयो हि कदा मया // द्यूतक्रीडां करिष्यामि तेनाहं तु त्वया सह // 6 // परं तु सारिकापटं नास्ति तद्रम्यते कथम् // तदोक्तं मृतकेन त्वं मुंच मामानयाम्यहम् // 6 // कौतुकिना कुमारेण चोक्त मेवं तदा कुरु // परं तु पूर्ववत् पश्चाद् गमनं ते न चेद्भवत् // 69 //
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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