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________________ एनं मुक्त्वा ततोऽत्रैव तु प्रतिप्रहरं वयम् // जागरणं करिष्याम अन्यथैतत् पुनस्तथा // 11 // Ke चतुरो वंचयित्वाऽस्मान् व्यंतराधिष्ठितं शवम् // यास्यतीति कुमारस्य स्वीकृतं वचनं चतैः // 12 // तत्राथ प्रथमे यामे तेषां मध्याद् वणिक्सुतः // जागर्त्यपि त्रयः सुप्तास्तदाऽभूत् कौतुकं महत् // 13 // KE दूरे कस्याः श्रुतस्तेनाऽपि स्त्रियो रुदनध्वनिः // वणिक्पुत्रेण तच्छूत्वा चिंतितं चात्रकाऽधुना // 14 // | करोति रुदनं रात्रौ विलोयकाम्यहं च ताम् // ततोऽसावुत्थितस्तस्मात् स्वचित्ते चिंतयन् पुनः॥१५॥ अत्रैव मृतकं शुन्यं मुक्वा यास्यामि चेदहम् // तदेदं वंचयित्वा मां पुनः पश्चात् प्रयास्यति // 16 // विचायति शवं तं स बद्धवा पृष्टे स्वयंतदा // ययौ तत्रानसारेण महिला रुदनध्वनेः // 17 // शुलीप्रोत मथैकं स तत्र चौरं ददर्श ह // करोति महिला चैका तत्पार्श्वे रुदनं महत् // 18 // Ka महिलायाः करे तस्या घृतपूरादिभोजनैः // स्थालोऽस्ति संभृतस्तां स दृष्ट्वा पृच्छति सत्वरम् // 19 // निशाया मंगने कासि करोषि रुदनं कथम् // त्वयानीतं कुतः स्थाले घृतपूरादि भोजनम् // 20 // एवं तस्य वचः श्रुत्वा तया प्रोक्तं शृणोतु तत् // वृत्तांत मेष शुलाया मारोपितोऽस्ति मे पतिः // 21 // जीवति सांप्रतं चायं तत्स्नेहवशगाऽऽगता // तस्य भोजनदानाय करोमि किं परं त्वहम् // 22 //
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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