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________________ सातीवपीड्यमानास्ति त्वया भोगाश्च त्याजिताः॥ कुटुम्बं दुःखितं दृष्ट्वा नोत्पन्नः करुणालवः // 8 // मारणार्हसि नूनं त्वं तेन रे दुष्टचारिणि // मुंचेमां त्वं द्रुतं नो चेत् छेत्स्यामि कर्णनासिकम् // 89 // ततः सीकोत्तरी प्राह भीता सा जातवेपथुः // अहमेनां विमुंचामि यास्यामि च नरोत्तम // 10 // आयास्यामि पुनर्नाह मित्युक्त्वा तच्छरीरतः // क्षणादेव गता दुरे नष्ट्वा सा दुष्टचारिणी // 91 // ततश्च ब्राह्मणी सज्जा तदैव सा बभूव ह // उत्थाप्य मंडलं तेन गायनाश्च विसर्जिताः // 12 // | पित्रा बालापि सा स्नानानंतर भोजिता द्रुतम् // सकुटुंबो द्विजो हृष्टस्तुष्टाव सदयं तदा // 93 // - अद्य मे सुबहोः कालात् श्लाधनीयमभूदिदम् // त्वत्पादपद्मसंस्पर्शसंपन्नानुग्रहं गृहम् // 94 // ब्राह्मणेनाथ सा पुत्री कुमाराय समर्पिता // वत्सेनापि स्वमित्राय द्विजाय परिणायिता // 95 // - दत्तं द्विजेन वत्साय स्वर्ण लक्षमितं तदा // एतद् दृष्ट्वा धनी सर्व स्वचित्ते तिचमत्कृतः // 96 // वत्सं विज्ञापयामास द्रुतं गत्वा गृहे मम // ममापि तन्महद् दुःखं स्फेटय कृपया तथा // 97 // - सह तेन कुमारोऽपि ततो द्रुतं गतो गृहे // दर्शितः स्वपिता तस्मै स्वगृहे व्यवहारिणा // 98 // सुप्तं मृतकरूपं तं दृष्ट्वोक्तं तेन भो धनिन् // प्रज्वालयामि यद्येनं तदा किं मम दास्यसि // 99 //
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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