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________________ हृद्येवं पीडितो वत्सो धावति स्म द्रुतं द्रुतम् // ततोऽत्र सावलिंगा सा चितासन्नं समागता // 1 // यावद्भवति सा तत्र झंपां दातुं समुत्सुका // प्रतीक्षस्व क्षणं तावल्लोकैरुक्तं त्वं सांप्रतम् // 8 // यतः कोऽपि जनः संज्ञां कुर्वन् पटभ्रमणेन वै // दुराद द्रुतं द्रुतं धावन्नागच्छन्नस्ति संन्निधौ // 8 // तदा भट्टेन झंपातः रक्षिता सा बलादपि // तावता सदयः सोऽपि द्रुतं तत्र समागतः // 4 // समागतं च तं दृष्ट्वा भट्टो लोकाश्च हर्षिताः // सावलिंगां पतिः प्राह किमिदं च त्वया कृतम् // 85 // तयोक्तं च प्रतिज्ञातं त्वया तु प्रहरद्वयम् // मया प्रतीक्षितं स्वामि स्तथापि प्रहरत्रयम् // 86 // आग्रहतोऽप्यस्य भट्टस्य दिनांतोऽभूत् प्रतीक्षया // उक्तं तदा कुमारेण शृणु प्रिये वचो मम // 7 // ग्रामे गतस्य वेलापि लगति प्रहराधिका // कदाचित् सहसा कर्तु परमेव न युज्यते // 88 // कुमारोक्तं वचः श्रुत्वा सावलिंगाऽवदत्ततः // विलंब सहते नैव पत्युर्या तु पतिव्रता // 89 // चन्द्रेण रहिता नूनं श्यामास्या रजनी भवेत् // स्वामिनो विरहे सत्यास्तथैव मरणं स्मृतम् // 9 // अथैवं समये तस्य चागमनाद्धर्षोऽभवत् // भट्टेनापि तयो श्चक्रे प्रवेशस्य महोत्सवः // 91 // सामग्री कारिता चापि महता भोजनादिना // ततः सर्व कुमारेण खप्रियायै समर्पितम् // 92 //
SR No.600423
Book TitleSadaivvatsakumar Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar, Manishankar Chaganlal Shastri
PublisherRatilal Keshavlal
Publication Year1932
Total Pages196
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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