________________ मंत्रिणः संमतिः प्रष्टा राज्ञा तद्विषये तदा // मंत्री प्राह महाराज ह्यत्र शृणु मतं मम // 57 // जातोऽस्ति सोमदंतः स मत्तो धनमदेन हि // तेनाद्य मोचितश्चौरः किं पुनरागमिष्यति // 8 // क्षात्रादि श्रेष्ठिनः किं च सर्व निर्वाहयिष्यति // भवेन्नैव कदाप्येवं तेन शिक्षास्य सुस्थिता // 59 // यावदस्य महाशिक्षा लग्ना नैव भविष्यति // चौराश्रयप्रदानान्न तावत् स विरमिष्यति // 6 // तदेहि मोधनादेश मिति राज्ञापि मानितम् // रक्षस्य दत्त आदेश श्चौरस्य भोचनाय च // 61 // तेनापि तत्र गत्वाथ सोमदंताय भूपतेः // आदेशः कथितस्तस्मान्मुक्तश्चौरश्च बन्धनात् // 62 पौरस्थाने स्थितः श्रेष्ठी गच्छन्तं तं जगाद च // पश्चात् कुमार मा गच्छे भलिण्यामीदमप्यहम् // 3 // परं तत्तु कुमारेण अनुज्ञातं न तद्वचः // अथ तस्य गतो हट्टे सोमदंतस्य हर्षतः // 64 // स्थापनिकां गृहीत्वा स्वां प्रियामरणशंकया // मुत्तवासिफलकं तत्र सोऽभुक्तो धावितो द्रुतम् // 65 // द्वियामानंतरं तत्र निजपत्युरनागमात् // खिन्ना सा सावलिंगा तं विश्वभट्ट मुवाच ह // 66 // हे भ्रातर्मत्पतेः पन्था द्वित्रायाम विलोकितः॥ परमथापि नायात स्तेनास्य कुशलं नहि // 67 // यतोऽस्ति तच्चतुःषष्टि योगिनीस्थानकं पुरम् // नूनममंगला शंका जाता चित्ते ततो मम // 8 //