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________________ II GE प्रथमस्कन्धे कु सर्गः 6 // | नवरात्रोत्सवाय मेरु गिरिंगता शारदा। // 12 // IAIII यदा तव कृतं किञ्चिद् देवासुरनरैरपि / संभविष्यत्यनुल्लङ्घयं तदा शापाद् विमुच्यसे // 13 // स्मृतोपनतमन्यं च हंसमारुह्य शारदा / रणद्वीणागुणक्वाणं प्रतस्थे परमेश्वरी // 14 // सोऽपि हंसः प्रियामूचे काम्ते! पश्य किमागतम् / हन्त गन्तव्यमावाभ्यां पृथिव्यां प्रभुशासनात् // 15 // अद्य दूरीभविष्यन्ति स्वर्गलोकसुखानि नौ / न मृषाभाषिणी देवी कल्पान्तेऽपि सरस्वती // 16 // सर्वस्वमपहर्तु वा हन्तुं विकेतुमेव वा / योग्यं प्रभोश्च पित्रोश्च प्रतिकर्तुं तु नात्मनः // 17 // भतमातृपितृस्वामिगुर्वाचार्योपहारिणाम् / निःशेषदोषदग्धानामपि पूजैव युज्यते // 18 // परार्थे मम सामर्थ्यमात्मार्थे तत् कथं नहि / ब्राह्मीविमानहंसोऽस्मि पश्य मे बुद्धिवैभवम् // 19 // अस्ति दक्षिणदिग्भागे भीमभूमीभुजः सुता / दमयन्तीति विख्याता नारीजनशिरोमणिः // 20 // यदा स्वयंवरस्तस्या भविष्यति मृगीदृशः / तदा तत्रागमिष्यन्ति देवासुरनरोरगाः // 21 // अनागतमिदं ज्ञात्वा स्वामिनी नः सरस्वती। साहाय्याय च कन्यायाः स्वाजन्याय च नाकिनाम् // 22 // श्रव्याणि प्रेक्षणीयानि भिन्नभाषाणि कोटिशः। तदुत्सवोपयोगीनि रूपकाणि विधाय सा // 23 // ददौ तेष्वभिनेयानि भरताय महर्षये / नारदाय च गेयानि शिक्षापूर्वकमात्मना // 24 // (युग्मम् ) स्वराजकुलवृत्तान्तमिमं प्रागपि वेढ्यहम् / कल्ये सम्पातिपुत्रस्तु सुपार्थो मिलितो मम // 25 // मलयाचलवास्तव्यः स हि पौत्रो गरुत्मतः / खगेन्द्रो दूरदर्शी च दश्रावी च सुन्दरि! // 26 // III-IIE HI III III FII IIIA ISIT A
SR No.600422
Book TitleNalayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyadevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages398
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
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