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________________ चरित्रम. मणिपति।३९॥ श्रत्ववं चिन्तितं भ्रातुःप्रमोदपरता मम / न शास्ति येन पुत्रं स्वं साधूपद्रवकारिणम् // 817 // तद्गत्वा स्वयमेवाहं शिक्षयामि तदङ्गजम् / इति बुद्ध्या गुरुं पृष्ट्वा तां पुरी गतवानसौ // 718 // . प्राविशत् तत्र तत्रत्य-तपस्व्यन्तरहर्मुखे / मध्याहे तूयमं चक्रे भिक्षार्थ स्वयमेव हि // 719 // ततस्तपस्विभिः प्रोचे क्षणं विश्रम्यतां मुने ! / वयमेवाऽद्य यास्याम-सस्वत्कृतेऽपीत्यसौ मुदा // 820 // प्रत्यूचे मुनिचन्द्रेण तच्छिक्षाकरणेच्छया। आत्मलब्धमहं भोक्ष्ये इति मे भिक्षवो व्रतम् // 821 // अतो मे परिहार्याणि कुलामीह प्रदर्यताम् / केनचित्तानि येनाऽहं हित्वा भिक्षामटाम्यहो !! // 822 // ततस्तैनिश्चयं ज्ञात्वा द्वितीयः प्रेषितो मुनिः। परिहार्याणि गेहानि तस्य दर्शयितुं द्रुतम् // 823 // तेनाऽपि प्रथमं तावत् तदेव नृपमन्दिरम् / संदर्योक्तमिदं त्यक्त्वा मुने! विहर सर्वतः // 824 // इदं तदिति संचिन्त्य मुनिचन्द्रेण भाषितम् / व्रज त्वमाश्रयं भिक्षो ! स्वयं ज्ञास्याम्यतः परम् // 825 // इति संप्रेष्य तं साधुं स्वयं तत्रैव वेश्मनि / प्रविवेश गताऽशको मुनिचन्द्रमहामुनिः / / 826 // ततः कश्चिदजानान-स्तपस्वी गृहमाविशद् / इति बुद्ध्या जनैरुक्तो निर्याहि भगवन् ! अतः // 827 // अन्यथा राजपुत्रेण दुप्टेनेह कर्थ्यसे / नवयं वारितोऽप्यस्या दुश्चेष्टातो विरंस्यति / / 828 // एवमुक्तोऽप्यनाकर्ण्य बाधिर्यादिव ता. चः / धर्मलाभ इति प्रोच्चै-रूचेऽसौ भयवर्जितः // 829 // // 39 //
SR No.600401
Book TitleManipati Rajarshi Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambukavi, Bhagwandas Pt
PublisherHemchandra Granthmala
Publication Year1922
Total Pages164
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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