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________________ मणिपति S // 25 // AECCALCREALA ततस्ताहग् वचः श्रुत्वा तया मुदितचेतसा / तस्मै ध्रुसंशयालक्ष्यं दशितोऽहमधा स्थितः // 524 // केशैस्ततोऽहमादाय समाकृष्टोऽतिपाप्मना / ताडितश्च कशाघात-निर्दयं तेन तत्पुरः॥५२५ // स्थूणायामावण पुनर्बहोऽतिनिष्ठुरं / तनास्ति निर्दयः प्रायो यन्त्र रोषात् प्रकुर्वते // 526 // मदभाग्यैरेव तत्राऽथ शुनाऽऽगत्य कुतोऽपि तत् / सुप्ते सेनापतौ क्षिप्रं भक्षितं वर्धबन्धनम् // 527 // 12 ततोऽहं मुत्कलीभूतोऽचिन्तयं पश्य कर्मणां / वैचित्र्यं कीदृशं लोके दृश्यते विस्मयं दधत् // 528 // क्वाऽहमीगवस्थोऽत्र क्व वा श्वागमनं क्षणात् ? / क्व वा जीवत एवैवं वर्घषन्धस्य भक्षणम् // 529 // तदिदानी किमु प्राणान् लात्वा याम्येकया दिशा / आहोश्विदेनमाहत्य गृहीत्वनां प्रयाम्यतः // 530 // अथवा किं ममाऽनेन घातितेन प्रयोजनम् / एनामेव गृहीत्वैकां निजग्रामं ब्रजाम्यहम् // 531 // इति संचिन्त्य तस्यैव खड्गमाकृष्य सा मया / यथा नोत्तिष्ठते क्षुद्रश्चौराऽधीशस्तथोदिता // 532 // पापे ! यद्यत्र किश्चित्त्वं पूत्करोषि मनागपि / ततः शिरस्ते छेत्स्यामि तुम्बीफलमिव द्रुतम् // 533 // 1 इत्युक्ता सा मया त्रासात् तूष्णीभावमुपेयुषी / आरब्धा नेतुमात्मीयं देशं पल्ल्यास्ततो द्रुतम् / / 534 // तयाऽपि पापया यास्त्राः पातयन्त्या शनैर्दशाः / अहमनुगतो ध्वान्ते ज्ञापनार्थ निजाध्वनः / / 535 // एवं रात्रौ मया नीता यावत्सा दरमङ्गना / तावत् पाप क्षयं क्षिप्रं निशा भीतेव चौरपात् // 536 // ,
SR No.600401
Book TitleManipati Rajarshi Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambukavi, Bhagwandas Pt
PublisherHemchandra Granthmala
Publication Year1922
Total Pages164
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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