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________________ EXHEN MN5%A5%% ततस्तेऽलंकृतिं वीक्ष्य क्षिप्त पात्रे तयाऽज्ञया / चौरोऽयमिति राजान्तं निन्युरग्रे विधाय तम् // 1439 // 4 प्रवेश्यमानमालोक्य राजपुंभिर्महीपतेः मन्दिरं प्रत्यभिज्ञासीत् सा धात्री चेटिकाऽऽवृता // 1440 // ततोऽतिवेगतः पीठा--दुत्थाय पतिताऽग्रतः।हा!! किमेतदधीशेति पारेभे रोदितुं धनम् // 1441 // रुदन्तीं तां समालोक्य कोऽयं यस्य महीपतेः। माताऽपतत्क्रमाम्भोजे इति लोकः समाययौ // 1442 // तमाकर्थ तथाभूतं रुद्यमानं तथा नृपः / किमम्बतदिति प्रोच्चै-ब्रुवन्नागात् ससाध्वसः // 1443 // सा प्राह साश्रुणी नेत्रे विभ्राणा गद्गदाक्षरम् / पुत्रायं त्वत्पिता काष्ठो गतोऽवस्थामिमामिह // तमिशम्य नपो हृष्टो न्यपतत् पादयोः पितुः। भगवन्नेह्यग्रतः पीठ-मिदमास्ते इति ब्रुवन् / / 1445 // सा पुनस्तादृशं वज्रा गौरवं तस्य सन्मुनेः / राज्ञा कृतं निशम्याऽऽशु बटुना साध ननाश च // 1446 // ततो भूपतिना प्रोचे हृष्टचित्तेन सक्षमी। क्षणं स्थित्वा महाभाग ! क्रियतां मदनुग्रहः // 1447 // प्रव्रज्या दुष्करी हित्वा राज्यं कुरु निराकुलः / येन मे सफलो लाभो जायते राजसम्पदः // 1448 // तं ब्रवाणमिति प्राह पेशलैर्वचनैर्मनः / प्राङ्गादयभिदं साधु-विज्ञाताऽसारसंमृतिः॥१४४९ // भद्र त्वां हन्तुमुगुक्ता यदासीजननी तव / वैराग्येण तेनाहं विषयेच्छुर्न संमृतो॥ 1450 / / अन्यच-दुरन्तमधुवं लोकं व्याधिपीडानिरन्तरम् / तुषाणां मुष्टिवस्फल्गु किं न रक्ति प्रपश्यसि ? // 1451 // %ECECA
SR No.600401
Book TitleManipati Rajarshi Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambukavi, Bhagwandas Pt
PublisherHemchandra Granthmala
Publication Year1922
Total Pages164
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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