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________________ // 365 // | मुनिवरकथिता द्रौपदीपूर्वभवाः * मान्या मुनीनामप्यासन्नासन्नाद्भुतसिद्धयः // 88 // समानशक्तयोऽन्योन्यं विषया इव पञ्च ते / नाभूवन्कस्य ? चित्रायानुज्येष्ठं विन|तिस्पृशः / / 89 / / द्रुपदस्यान्यदा राज्ञः श्रीकाम्पिल्यपुरेशितुः / व्यज्ञाप्यत नृपः पाण्डुतेन सदसि स्थितः॥१०॥ कन्या द्रुपदराजस्य | चुलनीकुक्षिसम्भवा / धृष्टद्युम्नस्य सोदर्या द्रौपदीत्यस्ति सद्गुणा // 11 // दशार्हा रामकृष्णौ च दमदन्तः सुयोधनः / शिशुपालो रुक्मीको क्ष्माभुजोऽन्येऽपि साङ्गजाः // 92 / / तस्याः स्वयंवरे पुच्या राज्ञाऽऽहूताः स्वपूरुपैः। तद्देव ! पश्चभिः पुत्रैः सहैत्याध्यास्त्र मण्डपम् / / 93 // युग्मम् / / ततः पाण्डुः सुतैः सार्द्धमन्येऽपि च नरेश्वराः / काम्पिल्यमीयुद्रुपदक्ष्माभुजाऽभ्यर्च्यते स्वयम् // 14 // मण्डपान्तय॑वेश्यन्त धात्रेव गगने ग्रहाः / विमानाभोच्चमश्चस्थेष्वासनेषु यथोचितम् // 95 / / युग्मम् / / अथ स्माता विलिप्ताङ्गी दिव्यस्रग्वस्त्रभूपणा / गृहे श्रीजिनमच्चित्वा स्वसखीभिः समन्विता // 96 / / जेतुं विश्वत्रयीस्त्रीणां मुखेन्दुनिव विभ्रती / स्वमुखेन्दं विधा | स्वर्णकर्णकुण्डलबिम्बतः // 97 // सुरस्त्रीः कङ्कणक्वाणै गस्त्री पुरारवैः / मालालिझंकृतैर्नारीयंत्कुर्वाणेव भूयसा // 98 // आययौ द्रौपदी तत्र नामग्राहं च भूपतीन् / संदर्यमानान्वेत्रिण्या त्यक्त्वाऽगात्पाण्डवान्तिके // 99 // च०क० // सा स्वानुरागं दृक्पातैर्मल्लीमुकुलनिर्मलैः / आविश्चकार युगपत्तेषु लोकोत्तरं तदा // 30 // मेरुणामिव पश्चानां तेषां सा मर्यभूरिख / समं माद्रिमृयैव वेष्टं चक्रे वरस्रजा // 1 // किमेतदिति साश्चर्यास्तत्रान्योन्यमुखेक्षिणः / यावजगुनृपास्तावत्तत्रागाचारणो मुनिः // 2 // पतयः कि? नु पश्च स्युद्रौपद्या इति राजभिः / पृष्टः स सर्वैराचख्यौ कारणं मूलतो मुनिः // 3 // इयं प्राच्यभवोपात्तकर्मणा पञ्चभर्तृका। भवित्रीत्यत्र | किं ? चित्रं निषेद्धा कर्मणो हि कः ? // 4 // तथाह्यभूवंश्चम्पायां विप्रा वेदा इव त्रयः। सोमदेवसोमभूतिसोमदत्ताः सहोदराः // 5 // | तेषां नागश्रीभूतश्रीयक्षश्रीसज्ञिकाः क्रमात् / अजायन्त प्रियतमा धनधान्यर्द्धिशालिनाम् // 6 // सस्नेहास्ते स्थितिं चक्रुः पृथग्वेश्म // 365 //
SR No.600400
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1943
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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